Monday, 30 December 2019

नववर्ष की खुशी

आया नववर्ष  मन में है हर्ष,
मुझे सुर संगीत सजाने दो,
जो बीत गया उसे जाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                       मन में हैं उमंग तन में है तरंग,
                       हर ओर दिखा खुशियों का रंग,
                        नया इंद्रधनुष खिलाने दो,
                       मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
कुछ इच्छाये नहीं हुई पूर्ण,
कुछ कामनाओ का हुआ चूर्ण,
मुझे नव संकल्प सजाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                          हो जाये जग में अमन चैन,
                           बीते काली अंधियारी रैन,
                           सुख का सूरज उग जाने दो,
                            मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
बारूद नहीं हथियार नहीं,
बरसे रिमझीम प्रेम यूँही,
मुझे नववर्ष मनाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                                 कवियत्री
                                    हेमलता पुरोहित

Saturday, 28 December 2019

सुहानी सर्दी

जाड़े की रात सुहानी हैं,
जाड़े की बात सुहानी हैं,
सच पूछो तो मुझको,
ये सब ऋतुओ की रानी हैं।
          सुशोभित होते लोग सभी,
           गरम ऊनी मुकूट पहने,
          शाल  दुशाले और मफ़लर,
           सर्दी की वर्दी पहनें।
गरमागर्म  चाय कहीं,
तो अलाव तापते हाथ कहीं,
धुंवा धुंवा हो जाता तन,
जब बढ़ जाती है ठिठुरन।
               ओस की बूंदें पत्तों पर,
               गिरकर  इतना  इतराती हैं,
                सर्दी  में  बढ़ते हैं तेवर,
                मावट का जल बरसाती हैं।
घने कोहरे की ओट से,
खिलखिलाती हैं धूप कभी,
ऐसा लगता हैं  मानो,
सर्दी भी दिखाती हैं रूप कभी।।
                                              कवियत्री
                                                 हेमलता पुरोहित

Saturday, 21 December 2019

माँ को समर्पित

तू ही ब्रह्मा तूने सृजन किया,
तू ही विष्णु तूने भरण किया।
तू ही शिव का अवतार है माँ,
इस जग में तू दातार है माँ।।
                जब से तूने  पाया है मुझको,
                 अपना जीवन बिसराया है माँ।
                 क्या सुख क्या दुःख ये भूल गई,
                  मुझमें ही सब कुछ पाया माँ।।
देवी सरस्वती बनकर के माँ,
अक्षर का ज्ञान कराया माँ।
प्रथम गुरु बनकर के मुझको,
जीवन का पाठ पढ़ाया माँ।।
                    तेरी परछाई कहलाती,
                     तेरे बल पर में इठलाती।
                      तेरी ममता का फूल हु माँ,
                       तेरे चरणो की धूल हु माँ।।
कुछ दे ना सकी इस जीवन में,
सब कुछ तुजसे ही पाया माँ।
तू प्रभुता हैं मै लघुता हु,
बस अपना शीश नवाया माँ।।
     कवियत्री- 
       हेमलता पुरोहित


                   



Tuesday, 17 December 2019

सब बढ़िया है

अपने दुःख दर्द छिपाने का
बस बचा एक ही जरिया है
जब पूछे कोई कैसे हो
हम कह देते सब बढ़िया है
               चेहरे पर मुस्कान लिए
                वाणी में रहते रस घोल
                स्वप्न सरीखा यह जीवन
                जो सरक रहा होले होले 
अश्रु किन्हें हम दिखलाये
किस से हम मन की बात कहें
बेतहर लगती पीड़ा अपनी
भीतर अपने चुपचाप सहे
                    कुछ पीड़ा सुन दुःखी हो जायेगे
                    कुछ पीड़ा सुन मुस्काएगे
                     कुछ नमक छिड़क कर जायेगे
                     कुछ पाप पुण्य का लगा गणित
पापों का फल बतलाएँगे
किस की जिव्हा हम पकड़ेंगे
किस किस के होंठ सिलायेंगे
ऐसा बोले तो क्यों बोले
                       किस किस से लड़ने जायेंगे
                        चुपचाप सुनेंगे तानो को
                       दिल अपना भी एक दरिया है
                       फिर पूछेगा जब हाल कोई
                      तो कह देगें 'सब बढ़िया है'|

Sunday, 15 December 2019

विजय दिवस की शुभकामनाएं

लहू के हर कतरे से इंकलाब
                    लिखना ये बड़ी क्या चीज़ है
    ऐ वतन तू ही बता 
              तुझसे बडी क्या चीज़ है
    जिन्दगी जब तुझको समझा 
              मौत फिर क्या चीज है  
  तेरे लिए प्राणों को देना
                 ये बड़ी क्या चीज है
दुश्मन को मिट्टी में मिलाना
               ये तो एक खेल है
आगाज़ जिसका कर दिया
             अंजाम बड़ी क्या चीज़ है
झुकने ना देंगे शान अपने
                       देश की ये बात है
विजय दिवस पर सब वीरो को
                      कोटि कोटि नमन है 

Saturday, 14 December 2019

प्यार का बंधन

रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया                                                आपसे हर बात अच्छे से  सिख गयी
कल तक जो पल में बिखर जाती
                 आज वो समेटना भी जानती
       वो भी क्या दिन थे जब रुठ के घर सर पर उठाती                       आज वो रूठो को मनाना सीख गई
            रिश्ते तो मिलते है मुकदर से
      बस उसे खूबसूरती से निभाना सिख गयी
रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया     
आपसे हर बात अच्छे से  सिख गयी 
आपकी वफ़ा मुझ पर उधार रहेगी
मेरी जिंदगी आप पर ही निसार रहेगी
दिया है आपने इतना प्यार मुझे
की मर के भी आपकी कर्जदार रहेगी
                     

Saturday, 7 December 2019

याद के साथ दुआ

आज से कल का दिन बड़ा खराब होगा
पूरे 1 साल के बाद ना जाने क्यों आया होगा

ले गया दूर हम से हमें जन्म देने वाली माँ को
इसको दया भी ना आई छोटे छोटे बच्चों को

इस भीड़ में तन्हा कर दिया सच ये खराब होगा
आज से कल का दिन बड़ा खराब होगा

भूला नहीं सकते कभी उसके हर दर्द को
जो उसने हमारे लिए सहे होगे कही राते

जग कर हमें चेन की नींदे दी होगी पर
फिर भी माँ आज जमाने से बचाने के लिये

अपनों को तुम्हें भुलाना होता है और हर
नई राह को परिवर्तन के अनुसार चुना होता है

बस भगवान से एक दुआ है मेरी की
अगला जन्म आपका बड़ा खुशनुमा हो

क्योंकि जब भी गीता को पाठ आप पड़ती तब
एक बात हमेशा कहती वो बात बार बार याद आती

की आत्मा कभी नही मरती वो तो बस
एक शरीर से दूसरे में जाती है और वो

भगवान पहले ही सोच लेता है तभी तो
पुराने वाले शरीर से बाहर जाने देता है

जैसे हम नए कपड़े का इंतजाम करने के
बाद ही तो पुराने कपड़ो को छोड़ते है

आपकी ये बात एक सुकून देती है कही
की आप अब फिर इस धरा पर तो है

बस थोड़ा हम से दूर कहीं अपने नये
परिवार में होगी जहाँ आपके आने की
ख़ुशी हर चहरे पर दिखती होंगी

Sunday, 10 November 2019

आशियाना

तिनका तिनका लाकर गोसला बनाती है वो
हर मुश्किल से दिन रात जूझती है वो
राहे जिंदगी की आसान नही होती उसकी भी
फिर भी कदम कदम पर लोगो को चुभती है वो
कभी अपने असितत्व के लिए लड़ती है वो
कभी जिंदगी को चलाने के लिए जूझती है वो
किस तरह बनाये अपना आशियाना
जिंदगी की डगर में हर पल ये सोचती है वो
सफर आसा जिंदगी का किसी का नही होता
हरपल दिल को समझाती हुई फिर अपने आसियान
को संवारने के लिए निकलती है वो

Thursday, 31 October 2019

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस

शोभित है भारत माँ मेरी
जिसमे मध्यप्रदेश है
बधाई हो जन-जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है
चारो तरफ़ हरियाली फैली
सुख समृद्धि की खान है
नदिया जहाँ आपस मे मिलती
घर इनका मध्यप्रदेश है
बधाई हो जन- जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है|
पर्यटन का सुंदर स्थल
ओंकारेश्वर महान है|
तीर्थों की पावन ये धरा है
ऐसा मध्यप्रदेश है|
बधाई हो जन-जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है|,🙏

Wednesday, 30 October 2019

अलविदा दिवाली

लोगो ने ख़रीदे सोना चाँदी,
मैंने एक सुई खरीद ली|
 सपनों को बुने सकू ,
उतनी सी डोरी खरीद ली|
सबने अपने अपने लिए कुछ लिया|
मैंने अपने सपनो को कम कर लिया|
शोक ए जिंदगी कम कर के,
सुकून ए जिंदगी खरीद ली|
माँ लक्ष्मी से यही प्रार्थना है
धन बरसे ना बरसे ,
कोई गरीब रोटी को ना तरसे||🙏

Sunday, 27 October 2019

दिवाली की बधाई

लो आ गई फिर दिवाली दीपों से सजाया आँगन है|
ये कथा श्री राम के घर लौट आने की कहती है,
भरा दुःख से जो उनका जीवन खत्म होता है|
ले आई रोशनी फिर से घने बादलो के बाद ,
सजाया इस खुशी में सबने अपने घर बाजारों को
मनाया धूम धमाके से दीवाली को जो ये है पर्व
 चली तब से खुशी मनाने की ये रीत है सब मे
करते आज है पूजन  लक्ष्मी माँ की आज तो
पर कही इस दौर में कुछ छूट गया हमसे फिर आज
नही माँ का है साया नही कुछ पुरानी सी दीवाली आज
फिर भी हम मनाने को दीवाली आज आये है|
सजा  फिर आज बाजार रोशन जमाना है
मगर दिल मे एक दर्द कुछ ऐसा समाया है
बताना भी नही आसा भुलाना भी नही आसा
बस दरखास्त इतनी सी जमाने से फिर से है|
पटाखों की गूंज में रोशनी की धूम में कही
एक बार कोई और भूखा आज ना सोएं
थोडा सा कम धुँवा कर के किसी गरीब को देदे|
दीवाली कुछ इस तरह फिर हम मनायेगे
ये ले लो प्रण आज के दिन खुशिया फिर
सब मे लुटाएंगे दीवाली सब के साथ फिर मनायेगे|

Monday, 21 October 2019

मौत

मिट्टी का जिस्म लेकर मैं पानी के घर मे हूँ|
मंजिल है मौत मै हरपल सफ़र में हूँ||
होना है अंत मेरा ये हरदम मालूम मुझे
फिर भी ना जाने मैं किस में मगरूर हूँ||
जान कर भी हकीकत अनजान हूँ किसलिए
जादू ये कौनसा है मै किस के असर में हूँ||
लगता है अब इसे दोस्ती अजीब है
मै इसके डर में हूँ ये मेरे डर मै है||
मुझे से ना पूछिये मेरे साहिल की दूरियां
मैं तो ना जाने कब से भवर_ द_ भवर में हूँ||

Thursday, 17 October 2019

करवा चौथ की बधाई

मेहंदी हाथों में पिया तेरे नाम की,
रहे साथ तेरा मेरे जीवन की डोर से।

लो आज सजी फिर दुल्हन सी पिया तेरे नाम की,
है ख्वाईश यही प्रभु से मेरी हर साँस तेरे नाम की।

जब-जब सजू हर श्रृंगार पर हो नाम तेरा ही पिया,
तेरे लिए ही आज मैंने करवाचौथ है किया।

 तेरे सिवा कोई और ना हो साथ मेरे पिया,
भरो मेरी माँग तब फिर से तुम एक बार पिया।

यही विनती है मेरी आज के इस पर्व पर,
जब भी मेरी हो आखरी साँस तेरे नाम की।

चलू हो के सवार तेरे ही कंधो पर पिया,
लो आज फिर करवाचौथ मैंने की पिया।

Tuesday, 8 October 2019

बेटी दिवस

जब सोचती हूँ बैठ के बेटी क्या है?
तब बात एक ही आती है दिल मे ,
कड़ी धूप में छाँव सी होती है |
माँ के बाद दूसरी माँ बन जाती है,
अश्क आँखों मे भरकर भी मुस्कुराती है|
इनके बिना सुनी होती हैं बगिया ,
इनसे ही रोशन होती हैं दुनिया ,
खुदा की इस धरती पर इनायत है बेटियां|
फिर भी कहते हैं लोग की,
बेटो सी नही होती है बेटिया|
कही घरो में बेटे की आस में ,
आज भी पिसती है बेटिया |
कोख़ में आज भी मारी जाती है बेटिया|
बदलते परिवेश में हिफाजत नही है बेटिया
सहते हुवे दर्द और मुश्किल को भी
मुस्कुराती है बेटिया|
अपनो के लिए कई गम सहती है बेटिया
ना जाने क्यों फिर भी मारी जाती है बेटिया|

दशहरा की शुभकामनाएं



ना उठे आँख किसी बहन, बेटी के आँचल पर। 

ना जले कोई बहु, पत्नी अत्याचारो के बल पर।।

बस इसी के साथ आज का रावण दहन कर दो।

हर लड़की को माँ,बेटी,बहन सी इज्जत दे दो।।

बुराई को खुद से और इस देश से दूर भगाओ।

अच्छाई को अपने जीवन मे अपनाओ।।


रावण को जलाओ ओर भ्रष्टाचार मिटाओ।

प्रगति के पथ पर भारत देश को आगे बढ़ाओ।।


दहन पुतलो का ही नही, बुरे विचारों का भी करना होगा।

श्री राम का कर के स्मरण, हर रावण से लड़ना होगा।।


शांति अमन के इस देश से, अब बुराई को मिटाना होगा।

आतंकी रावण का दहन करने, आज फिर श्री राम को आना होगा।।


Wednesday, 4 September 2019

Happy Teachers Day

शिक्षक दिवस की माँ पिता और गुरुओ के साथ उन सभी सहयोगियों को तहे दिल से शुभकामना जिसने जीवन के पथ पर मार्गदर्शन कर जीवन को आसान बनाने में सहयोग किया|
बिना दिपक के प्रकाश नही मिलता
उसी तरह बिना ज्ञान के इस भव सागर
से पार नही मिलता |
मेरे जीवन पथ को प्रकाश देने वाले सभी देदीप्यमान ज्ञान पुंजों को ह्रदय की अभिलाषा के साथ शिक्षक दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी इसी तरह जीवन के हर मोड़ पर मेरा पथ प्रश्स्थ करे

Thursday, 16 May 2019

दहेज

अभी तो शादी की कुछ रस्मे शुरू ही हुई थी कि अचानक एक हड़बड़ी सी मच गई जहाँ थोड़ी देर पहले हँसी ओर ख़ुशी फैली थी वहां एक अलग सा शोर हो गया दुल्हन ने कल ही तो मेहँदी ओर हल्दी लगाई थी और आज शादी से पहले ही ये सब हो गया बात है सगाई की दुल्हन तैयार हो कर आई और दुलहा भी तैयार दोनों को आमने सामने बिठा कर बस सगाई की रसम ही शुरू होने वाली थी कि उससे पहले लड़की वालों ने लड़के वालों के लिए कुछ कपड़े सब के लिए दिए तभी जहाँ ये रसम खत्म हो गयी और सगाई होना शुरू हुई तभी आपस मे बात करते करते ये बात चारो तरफ फेल गयी कि हमारे दामाद के तो इन्होंने कुछ दिया ही नही तभी लड़की वालों ने बड़े ही सहज भाव से कहा हो सकता है कि भूल गए हो तो एक लिफाफा अभी दे देते है या अभी ही लेकर आजाते है पर नही उनको तो जैसे कोई एक बहाना मिल गया हो वो तो पूरे सब के सामने जोर जोर से लड़की वालों को सुनाने लगे कि ये अगर एक छोटी सी रसम में इतनी बड़ी गलती कर सकते है तो शादी में तो ना जाने क्या क्या करेगे लड़की वालों की तरफ से बहुत समजाने पर भी नही माने शोर बढ़ता चला गया
तभी लड़की के पिताजी ने बोला कि मुझे नही करनी अपनी बेटी की शादी वहां जो रिश्तो की किम्मत तय करते है और अभी ये हाल है तो बाद में क्या करेगे
इसलिए आप लोग चले जायें यहां से इसतरह वो शादी नही हो पाई जब वो जाने लगें तब लड़की ने कहा रुको
लहरो ने बगावत कर दी तो किनारो का क्या होगा
फूलो ने बगावत कर दी तो बहारो का क्या होगा
अरे दहेज के लोभियों लड़कियों ने बगावत कर दी तो लड़को का क्या हो गा
इस तरह अगर दहेज कोई दहेज मांगे तो अपनी लड़की उस घर कभी ना दे क्यो की वो कभी वहाँ खुश नही रहे गी क्यो की वो लोग सिर्फ दहेज के भूखे है
ओर भिखारियो को भीक में कभी बेटी नही दिया करते

Tuesday, 30 April 2019

जिंदगी

*न मैं गिरी,और न मेरी*
      उम्मीदों के मीनार गिरे..! 
       पर.. लोग मुझे गिराने मे
    कई बार गिरे...!!"                
      सवाल जहर का नहीं था
       वो तो मैं पी गई,
तकलीफ लोगों को तब हुई,
   जब मैं फिर भी जी गई. 
जब कोई “हाथ” और“साथ” दोनों ही छोड़ देता है, तब “कुदरत” कोई न कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देती है, इसी का नाम “जिदंगी” है...!! 
   

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Saturday, 27 April 2019

ये ख़ुशी है या गम

कैसी ये परम्पराये है दिल नही मानते हुवे भी उनको मानना पड़ता है आप ही बताई ये की खुशियों में तो लोग नही होते हुवे भी ज्यादा करते है क्यो की वो उनके ख़ुशी के पल होते है तो क्या किसी के मरने पर भी लोग उतने ही खुश होते है तो नही होते हुवे भी तब भी ज्यादा से ज्यादा करते है बल्कि गिफ्ट भी दिए जाते है कही कही तो गोल्ड दिया जाता है क्या गम में लोग दुख को भूलना ज्यादा अच्छा है या उसका एक ओर रसम बनाके अदा करना ये तो ऐसा होगया जैसे मरने वालों की भी बहुत ख़ुशी है एक तरह से शादी भी 2 या 3 तीन की होती है पर वो तो 12 दिन के बाद भी पूरे साल कुछ ना कुछ चलता ही रहता है ऐसे में उस परिवार को एक इंसान के जाने के गम को भूलना ओर जिंदगी को नए सिरे से चलाने में कितनी मुश्किल होती होगी वो उन्हें भूला तो नही सकता कभी जीवन मे पर उनके बिना जीना सीखना उनकी यादों को संजोने में लगे कि लोग लाज की डर से फिर वो की लोग कहेंगे कि मरने वालों के प्रति भी हमारे कुछ कर्तव्य होते है कुछ लोग ऐसी दलीले देते है तो क्या वो कर्तव्य उनके जीवित अवस्था मे पूरे नही किये गए जो अब लोगो को दिखाने के लिए किए जारहे है अगर हम जीवित इंसान के दिल को ही ना दुखाए ओर ना ही कभी कोई ऐसा काम करे कि हमे लगे कि अब हमें लोगो को सफाई देने की जरूरत है जो करना है इंसान के जीने पर करो मरने के बाद तो सिर्फ अपने लिए ही क्यो की मरने के बाद कभी किसी को कुछ नही मिलता |ये परम्पराये कितनी ग़लत है इन्हें बदलना सब चाहते है पर कदम कोई नही बढ़ाना चाहता|
 हाँ जहा लोग शिक्षित हुवे उन्होंने देखा कि इन परम्पराओ से बिचारे गरीबो को नीचे देखना पड़ता है वहा लोगो ने इसे बहुत ही कम या बंद ही कर दिया है
पर ये बात सोचने वाली है कि किसी के दर्द में हम उसको कम करने की सोचना चाइये
विधाता ने जहाँ पीर दी है
दिल को चीर देने वाली
उस पीर में कैसे करे कोई
भात चावल हलवे की बात
ये तो एक दर्द में किसी के
ख़ुशी मनाने जैसा ना हुवा
ये अभी कम कहा था तभी
अंदर से आवाज आई कि
कुछ सोना भी तो देना पड़ेगा
क्या देना इस दुख की घड़ी को
सुख में बदलने के लिए था
या जाने वाले को फिर बुलाने के लिए था
ये बात समझ आती नही थी
की फिर गुथी कही और
जाती गयी जाने वाले के गम
को यू ओर गम दिया गया और
जीवन चलता कभी कभी

प्रकृति का भी नियम है कि जो बदलता नही वो नष्ट हो जाता है तो हमे अपनी संस्कृति को बचाने के लिए उसमे बदलाव की बहुत जरूरत है🙏🙏

Thursday, 18 April 2019

महाभारत का एक अंश


अनजान रास्तो पर चलती ये छोटी सी परी ना जाने जमाने के कितने दस्तूर ओर रिश्तो ओर उनके रूपो में जीना है इसे पर सबको खुश रखना और रिश्तों को अच्छे से निभाना ये ही इसकी दुनिया है छोटी सी परी देखते देखते बड़ी हो गयी और अचानक एक दिन उसकी शादी हो गयी परी ने वहां भी अपने दिल को प्यार से समझाया और हर रिश्ते को दिल से निभाया लेकिन अचानक एक दिन बड़ी जिम्मेदारी परी के पास आई छोटी परी जल्दी से बडी हो गईं परी के ससुराल में थी एक जेठानी ओर प्यारा सा राजकुमार उनके घर आया तभी अचानक परी की सास भी बाहर गयी कुछ दिनों के लिए अब परी को ही सब कुछ था देखना बताओ ?
आप लोग राजकुमार है ऑपरेशन से है आया तो क्या डॉक्टर थी परी ?
परी ने सब कुछ जो करना था एक माँ को एक बड़ी बहन को वो सब अकेले किया
फिर भी परी को आखिर में कोई प्यार ना मिला
डॉक्टर ने ऑपरेशन के टाके लगाए अगर निशान रह गए तो उसमें परी क्या करे और अब ना माने कोई परी के फर्ज का मोल उल्टा सुनाये उसे दो बोल
तो क्यो ना जब ससुराल में हुवा ऐसा कुछ ऐसा तो ले क्यो ना गए कोई परी से दूर बाते करना और काम करना
दोनों अलग अलग बाते होती है जो इन बातों में नही समझती थी उसने सारे काम किये भरी धूप में कही बार राजकुमार को हॉस्पिटल ले गयी और तो ओर कही ऐसे काम है जो कोई नही करता वो भी किये फिर भी सुनती उल्टे बोल
अगर आप किसी के लिए बुरा सोचते ओर बोलते हो तो वो पहले अपने लिए ही होता है जैसे कुवा दुसरो के लिए खोदते है और उसमें गिरना अपने को ही पड़ता है
ये बात हम गीता में भी देखते है कि कौरव पांडवों का बुरा चाहते थे और अंत मे विनाश उनका ही हुवा

Saturday, 30 March 2019

गणगोर वीडियो

गणगोर की शादी के बाद कि ओर annivarsary से पहले की शूटिंग ओर स्टोरी है कुछ नया देखे और भी लोगों को भेजे ताकि समाज मे इसका प्रचलन हो सके

Saturday, 23 March 2019

जीवन सगनी

अभी कुछ समय पहले में एक शादी में गयी वहाँ एक अलग ही बात हुई मुझे लगा उस समय जो उस दूल्हे ने किया वो एक बहुत ही अजीब पर बहुत दिल को छूने वाली बात कर दी अचानक दूल्हा वर माला के बाद दुल्हन के पैर छूने लगा तब सभी वहां अचंबित हो गए और जोर जोर से हँसने लगे दुल्हन खुद उसे उठाने लगी तभी दूल्हे ने कहा कि मै जो कर रहा हु बिल्कुल सही कर रहा हु आज से ये मेरी पत्नी ही नही मेरे परिवार की नींव है इसके व्यहार से ही मेरी समाज मे पहचान बनेगीइसके हाथो ही मेरे माँ बाप को सम्मान मिलेगा मेरी आने वाली पीढ़ी इसके खून पसीने से सींचि जाएगी मेरा पूरा जीवन अब इसके ही साथ जुड़ गया इसलिए मुझे इसकी इज्जत करनी चाहिए ना कि इसे मेरी
ये बात सुन कर वहां उपस्थित सभी लोगो ने जोर दार तालिया बजाई ओर इस तरह एक नई सोच का जन्म हुआ
ये सही भी है कि तरह समाज में हर मर्द को मानना चाहिये कि पत्नि से ही उसकी पहचान और समाज में बढ़ती उसकी शान 👫 क्योकि दोनों एक दुसरे के पूरक है एक दूसरे के साथी है दोनों के साथ ओर एक दूसरे का सम्मान करने से समाज देश और परिवार की ख़ुशी ओर उन्नति होती है🙏🙏🙏
नई सोच दूल्हे की

Tuesday, 12 March 2019

परिवर्त्तन

आज जब हमारे देश मे कही परिवर्तन हुवे लोगो ने कही परम्पराओ को गलत साबित कर उसे बदला और तभी हमारे देश ने बहुत विकास किया और मै उन सभी लोगों का पूरे देश की तरफ से धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने देश के बदलाव में योगदान दिया हमारे देश मे सती प्रथा छुवाछुत वर्ग भेद आदि कही प्रथाएँ तो समाप्त हो गई लेकिन अब में आपका ध्यान एक ऐसी प्रथा या ये कहे कि लोगो के अंधविश्वास की ओर ले जाना चाहुगी जो लोगो को अपने कर्म के मार्ग से भटकाने में लगा है ये लोग कह सकते है कि एक तरह से मानसिक रोगी होते है या फिर वो लोगो को भटकाने के लिए इसतरह करते है अधिकतर ये बाते या रीत गाँवो में या जो अंधविश्वास में होते है उन्ही के साथ होती है इस मे वो लोग ये साबित करते है कि जिस इंसान के साथ गलत हो रहा या उन्हें दुख या किसी चीज़ की कमी है तो वो उनके ही परिवार के कोई व्यक्ति जो अब इस दुनिया मे नही रहा उस के कारण हो रहा है और मरने के बाद उसकी आत्मा वो अपने शरीर मे आने की बात बोलने लगता है और उस बीच बहुत से काम जैसे सर हिलाना ओर अब तेरा ये काम हो जाये गा तू ये रात्रीजागरन खाना करना ऐसी बहुत सी बात बोलता है और उस परेशान इंसान को ओर परेशान करने में अपनी तरफ से कोई कमी नही करता मेने ये बात जब महसूस की तो मुझे लगा कि जो इंसान अपने जीवित होने पर हमेशा अपनो को देने के लिए क्या कुछ नही कर जाता वही इंसान मरने के बाद क्या उसे ही दुख दे सकता है ये बात में आप सब से भी पूछना चाहूंगी
2 दूसरी बात ये की जब इंसान के शरीर मे एक आत्मा पहले ही है तो दूसरी कहा रहेगी 
3ओर हमारे ग्रंथो वेदों पुराणों ओर गीता में तो स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने कहा कि इंसान की आत्मा नही मरती शरीर मरता है और जिस तरह हमारे कपड़े फटने पर हम नए लेते है उसकी तरह ही आत्मा भी नए शरीर को धारण करती है
4 जब ये सारी बाते साफ साफ है तो लोग किस तरह इन मानसिक रोगियों की बातों में आकर अपना काम धाम छोड़ के इनके पीछे लग जाते है हमे ऐसे किसी के बहवकावे में आने से अच्छा अपना काम को प्रगति की तरफ ले जाने का प्रयास करे 
एक बात और ईश्वर ने आपको इस धरा पर भेजा और साथ मे भेजा भी दिया और वो इसलिए दिया कि अब आपको उस ईश्वर पर निर्भर ना रहते हुवे अपने भेजे का उपयोग कर अपनी जिंदगी को अच्छा बनाना है और अपना कार्य करना है किसी पर निर्भर नही रहना ओर इस परिवर्त्तन की बहुत आवश्यकता है समाज और देश मे ताकि हमारी युवा पीढ़ी आगे बढ़ सके अंधविश्वास में ही गिरी ना रहे और हर बात के लिए मेहनत करे ना कि भगवान के भरोसे बैठे या किसी ढोंगी के जाल में फसे
एक परिवर्त्तन सोच के साथ🙏🙏


Sunday, 10 March 2019

लोकतंत्र

लोकतंत्र में हम सभी का एक बहुत बड़ा योगदान होता है या हम सभी के बिना ये होना संभव नही ये कहना भी कोई अतिशयोक्ति नही होगी तो क्यो ना हम सब इसमे भागीदारी ले कर इसे ओर भी बेहतर बनाये पर इसके लिए हम उन लोगो को जाग्रत करना पड़ेगा तो इस महा पर्व में अपनी भागीदारी नही निभाते है मतदान महा दान या हमारा अपना चुनाव हमारे अपने लिए ये बात हमे उनलोगों को भी समझानी होगी जो अपनी हिसेदारी अपने इस पर्व में नही देते ये कर के हम अपने पर्व को ओर भी बड़ा और महान बना सकते है कही लोग आज भी मतदान में अपनी भूमिका के महत्व को नही जानते है जो स्वयं अपने मत का उपयोग नही करते और व्यर्थ में उसे जाने देते है उन्हें ये समझाना होगा कि आप अपने ही अधिकार का उपयोग अपने ही लिए ना कर के अपने स्वयं के बारे मे नही सोच रहे है हमे हमारा फैसला स्वयं करना चाइये की हम अपना मतदान कर अपने लिए निर्णय लेने वाले को खुद चुने ओर हम यदि दुसरो को मतदान के महत्व को बताते है तो हम इस पर्व में ओर भी ज्यादा भागीदारी निभाते है इसलिए सभी से यही अनुरोध है कि खुद तो मतदान करे ही साथ मे जो नई पीढ़ी है या जो मतदान नही करते उन्हें भी प्ररित करे
की मतदान महा दान
तो क्यो ना करे हम सब ये दान🙏

मार्च एंडिंग


Wednesday, 6 March 2019

मृत्युभोज

हर समाज को एक नई पहल करने की जरूरत है|पुनः समाज की प्रगति देश के विकास के लिए ये कदम उठाना जरूरी है वैसे हमारे समाज और देश के लोगो ने बहुत सी जो पहले रीतियां थी उनको कुरीतिया साबित कर उनको बंद किया जिसके के लिए पूरा देश और सारे समाज दिल से उनके आभारी रहेगे लेकिन अब कई सालों न
बाद हमे एक रीत के बारे में पुनः विचार करना होंगा क्यो की वर्तमान समय मे सभी शिक्षित है तो विरोध करना हमे शोभा नही देता हम सिर्फ अपने विचारों को आपके सामने रख सकते है आपको बस ये सोचना है कि क्या ये विचार सही है तो नीचे हा जरूर लिखे 
मेरा माना है कि पूरे देश और कई समाज मे 80℅लोगो के आजीवका का साधन मजबूत नही है जिनमे से बहुत सी जनसँख्या गाँवो की है क्यो की गाँवो तो देश की आत्मा है लेकिन कुछ रीते ऐसी होती है जो प
पूरी तरह सक्षम ना होते हुवे भी उन्हें निभानी पड़ती है 
वो इसलिए कि समाज रिश्तेदारों में सब लोग करते है तो हमे भी करना होगा क्यो की विरोध करने की वो हिम्म्मत नही जुटा पाते उनकी मज़बूरीरो से उनको ऐसा लगता है कि उनको दब के रहना है कुछ बोलना नही या जो जैसा होता आरहा वैसा ही होता रहेगा कुछ बदलाव वो चाह कर भी नही कर सकते क्यो की उनके द्वारा किया बदलाव लोग गलत समझेगे क्यो की वो समाज मे पूरी तरह जो लोग सक्षम है वो इसको इतना बड़ा देते है कि गरीब को तो बिचारे को पिसना ही पड़ता है मै तो सिर्फ आपको इस बात पर विचार करने को बोल रही हूँ कि अहम सबको किसी के लिए कुछ करना है तो उसके जीवित रहते करे ना जो सेवा जो कुछ ख़ुशी जो कुछ देना है उसके दिल को खुश रखे उसको किसी तरह से दुखी ना करे जब ये सब हमने अच्छे से किया तो फिर उसके जाने के बाद उसके नाम का किसी को खिलाने वे देने की जरूरत किसी को देने की ना होगी ये फिर भी बाद में हम ये करते है तो शायद हमनें उसके जिंदा होने पर उसके लिए कुछ नही किया इसलिए अब पीछे कर रहे है ये एक विज्ञान कहता है हमारे ग्रंथ कहते है और खुद गीता जी मे कृष्ण भगवान कहते है कि आत्मा तो जैसे हमारे कपड़े फटने पर हम नए पहनते है वैसे ही आत्मा भी सिर्फ शरीर बदलती है वो तो अजर अमर है फिर हम क्यो ये सब करते है 
जो उसके पीछे लोग उसके परिवार के बचे है उनको सहानुभूति के रूप में समाज के वरिष्ठ लोगो को ही समझाना होगा कि अब सिर्फ आप 11 पंडित का कायक्रम कर जाने वालों के प्रति आदर करे बस ये सब तभी मुमकिन होगा जब समाज के जो पूरी तरह से सक्षम है वो लोग सब से पहले ये कदम उठाए ये कदम आज बहुत से शहरो में लोगो ने उठाया है और शुरआत समाज के वरिष्ठ लोगो से हुई कई जगह तो युवा पीढी ने इसका जिम्मा उठाया और उन्होंने 
 मृत्युभोज को पूरी तरह बंद कर कड़ी आवाज उठाई है काननू ने भी जब इसको बंद करने के लिए जब कदम उठाया तो हम सब मिलकर उसमे सहयोग क्योनी करते में आप सभी से ये ही अनुरोध करुँगी की आप सब किसी भी गरीब या इंसान को समाज मे नीचे ना देखना पडे हम सब मिलकर इसको बहुत ही सीमित या बंद करने के लिए एक झूट होना पड़े गा
अब जब मैने ऐसा अनुरोध किया तब बहुत से लोग ये बोलबोलेगे की हम शादियों में जब इतना पैसा खर्च करते है अपने लिए तो क्या मृत्यु पर अपना जो भी है दादा दादी माँ उनके लिए खर्च नही कर सकते तो ये आपजो पुनः बता दुकी हमे शादी में ख़ुशी होती तो उसको जाहिर करने के लिए करते है तो क्या उस समय भी हमे उतनी ही खुशी है 
के
कुछ लोगो पितृ ऋण मातृ ऋण के बारे में बोलेगे की उसको चुकाने के लिए करना होता है तो में फिर वही बात बोलूंगी की ये ऋण आपको उनके जीवित अवस्था मे उनकी सारी जरूरतों को पूरा कर के चुकाना होता है उनकी सेवा कर के ना कि उनके जाने के बाद लोगो को खिला के बस मेने अपने विचार आप लोगो के समक्ष रख दिये है
ओर शादी में भी जरूरी नही की आप लोगो की तरह करने के लिये अपने ऊपर कर्ज ले नही बल्कि इन फ़ालतू ख़र्च से बढ़िया की आप सब आज कल सम्मलेन समाज ने ये एक बहुत अच्छा कदम उठाया है या सिर्फ मंदिर कोट ओर भी सीधे उपाय है जहाँ ओर भी आसान है और जो पैसा बचे उसे अपने परिवार की उन्नति में काम ले उनके विकास के बारे में सोचे 
ओर जब ज्यादा होतो किसी अनाथालय की गरीब की मदद करे पर फालतू के कामो में ना लगाए बस एक विनती🙏क्यो की जब बहुत मेहनत से कमाते है तो उसकी महत्व को हमको समझना होगा,,🙏🙏🙏🙏

Saturday, 26 January 2019

जिंदगी एक पहली

जीवन एक वो पहली है| जिसका जवाब भी हम है और सवाल भी हम हैं| बस सवाल को सही समझ के सही जवाब देना है |तो जिंदगी बड़ी ही आसान लगने लगती है| लेकिन कही भी हमने गलती कर दी तो सारे उत्तर गलत ही होते जाए गए रास्ता मंजिल सब हमको बनाना और ढूंढना है |किसी के भरोसे अगर बैठे तो सोच लो कि फिर तो बहुत पीछे रहे जाएगे ये जिंदगी भी बड़ी बे मतलब की लगती है |अब तो जनाब क्यो की जब हम सवाल समझ ही नही पाए तो जवाब क्या देगे जीवन मे मुश्किले किसी के भी कम नही है |बस ये सोच ले कि मेरे पास सब से ज्यादा है |तो फिर आप तभी हार गए और हारने वालो को जीतने ये दुनिया नही देती यहां सिर्फ़ जितने वालो के लिए जगह है| और हमे भी अपनी एक जगह बनानी है |कुछ अच्छे के साथ तो कभी अच्छा सोचने और करने से पीछे मत हटो किसी का इंतजार करे कि वो कुछ करेगा तो ये भी संभव नही है| क्यो की सब के सवाल ओर जवाब इस दुनिया के अलग अलग है| बस हमे अपने कर्म और काम पूरा 💯%सही और दूसरों का भला करने में करना है साथ ही भगवान ने तुम्हे सब दे के इस धरती पर भेज दिया है |बाकी आगे का काम तुम्हे अपना अच्छा अपने परिवार और लोगो का अच्छा सोच के स्वयं करना है|अब भी उसके भरोसे तुम रहते हो कुछ नही करते तो इसमें जवो कही गलत नही है|
🌷"जीवन मे कभी पतझड़ तो कभी सावन आएगा
बस तो पतझड़ में भी सावन की कोशिश कर
तू हार मत तो वो पतझड़ खुद ही चला जायेगा"|🌻

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...