Tuesday, 17 December 2019

सब बढ़िया है

अपने दुःख दर्द छिपाने का
बस बचा एक ही जरिया है
जब पूछे कोई कैसे हो
हम कह देते सब बढ़िया है
               चेहरे पर मुस्कान लिए
                वाणी में रहते रस घोल
                स्वप्न सरीखा यह जीवन
                जो सरक रहा होले होले 
अश्रु किन्हें हम दिखलाये
किस से हम मन की बात कहें
बेतहर लगती पीड़ा अपनी
भीतर अपने चुपचाप सहे
                    कुछ पीड़ा सुन दुःखी हो जायेगे
                    कुछ पीड़ा सुन मुस्काएगे
                     कुछ नमक छिड़क कर जायेगे
                     कुछ पाप पुण्य का लगा गणित
पापों का फल बतलाएँगे
किस की जिव्हा हम पकड़ेंगे
किस किस के होंठ सिलायेंगे
ऐसा बोले तो क्यों बोले
                       किस किस से लड़ने जायेंगे
                        चुपचाप सुनेंगे तानो को
                       दिल अपना भी एक दरिया है
                       फिर पूछेगा जब हाल कोई
                      तो कह देगें 'सब बढ़िया है'|

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