रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया आपसे हर बात अच्छे से सिख गयी
कल तक जो पल में बिखर जाती
आज वो समेटना भी जानती
वो भी क्या दिन थे जब रुठ के घर सर पर उठाती आज वो रूठो को मनाना सीख गई
रिश्ते तो मिलते है मुकदर से
बस उसे खूबसूरती से निभाना सिख गयी
रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया
आपकी वफ़ा मुझ पर उधार रहेगी
मेरी जिंदगी आप पर ही निसार रहेगी
दिया है आपने इतना प्यार मुझे
की मर के भी आपकी कर्जदार रहेगी
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