Monday, 27 April 2020

फेस दिखाएंगे दौबारा

लाईफ इज नो श्योर,
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
   ‌     ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
        हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
हम तैयार होकर कुछ इस कदर,
घर से निकलेगे‌ होकर‌ बेखबर।
        मेकअप लगाए ना लगाएं फेस पर,
         मास्क लगाएंगे हमेंशा फेस पर।
तुम फिर पहचानो या ना पहचानो हमें,
हम सड़कों पर बेफ्रिकरी से‌ चलेंगे।
  ‌‌      भीड़ में जाए ना जाए अगर,
         एकांत में भी ना‌ रहेगे मगर।
ये दूरियां कुछ फांसलो में होगी,
पर लाईफ तो सिक्योर होगी।
            लाईफ इज नो श्योर,
              पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
          

2 comments:

  1. “बे वजह घर से निकलने की जरुरत क्या है”
    मौत से आँखे मिलाने की जरुरत क्या है



    सब को मालूम है बाहर की हवा है कातिल
    यूँही कातिल से उलझने की जरुरत क्या है



    ज़िन्दगी एक नेमत है उसे संभाल के रखो
    कब्रगाहों को सजाने की जरुरत क्या है



    दिल बहलाने के लिए घर में वजह है काफी
    यूँही गलियों में भटकने की जरुरत क्या है”

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