आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
क्यों जब भी मुसिबत आई,
हरदम तुम याद आई।
कुछ ना होने पर भी तुम,
मैं दुर हूं ये सोचकर ही तुम,
हरपल घबराती थी तुम,
छुट्टी लगते ही पास बुलाती थी तुम
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
अब मन नहीं करता मेरा,
उस शहर फिर जाने को,
पता है मां अगर आज तुम होती
तो फिर मेरी फिकर में डूबी होती।
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
क्या अब मन नहीं करता तेरा,
दूर से पास बुलाने को
सबसे पहले तुम ये ही कहती,
जो भी होगा सब छोड़ के आजा ।
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
ये फिकर आज बड़ी याद आई,
तेरे जाने से किसी ने नही जताई।😢
वैसे तो भूली नहीं गई।
क्यों जब भी मुसिबत आई,
हरदम तुम याद आई।
कुछ ना होने पर भी तुम,
मैं दुर हूं ये सोचकर ही तुम,
हरपल घबराती थी तुम,
छुट्टी लगते ही पास बुलाती थी तुम
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
अब मन नहीं करता मेरा,
उस शहर फिर जाने को,
पता है मां अगर आज तुम होती
तो फिर मेरी फिकर में डूबी होती।
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
क्या अब मन नहीं करता तेरा,
दूर से पास बुलाने को
सबसे पहले तुम ये ही कहती,
जो भी होगा सब छोड़ के आजा ।
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
ये फिकर आज बड़ी याद आई,
तेरे जाने से किसी ने नही जताई।😢
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