लक्ष्मण रेखा तू पार न कर,
इंसानियत पर ये एहसान कर।
बिन वर्दी के तू फौजी हैं,
ये सोच के नियम पालन कर।
हम अगर ये जंग जीत जाते,
महामारी से फिर उभर जाये।
जीवन पटरी पर आ जाये,
जो वक्त़ मुश्किल ये गुजर जाये।
ये हिन्दू-मुसिलम वक्त नहीं,
मिल कदम उठाए सख्त सही।
जंग में मिसाल हम बन जाये,
जो जंग-ए-कोरोना जीत जाये।
मुमकिन है दिक्कत बढ़ जाये,
ना मुमकिन कोई काम नहीं।
ये सोच कर जो बैठ गए,
सारी मुश्किल ही मिट जाते
हम जंग-ए-कोरोना जीत जाते।
कवयित्री-हेमलता पुरोहित
इंसानियत पर ये एहसान कर।
बिन वर्दी के तू फौजी हैं,
ये सोच के नियम पालन कर।
हम अगर ये जंग जीत जाते,
महामारी से फिर उभर जाये।
जीवन पटरी पर आ जाये,
जो वक्त़ मुश्किल ये गुजर जाये।
ये हिन्दू-मुसिलम वक्त नहीं,
मिल कदम उठाए सख्त सही।
जंग में मिसाल हम बन जाये,
जो जंग-ए-कोरोना जीत जाये।
मुमकिन है दिक्कत बढ़ जाये,
ना मुमकिन कोई काम नहीं।
ये सोच कर जो बैठ गए,
सारी मुश्किल ही मिट जाते
हम जंग-ए-कोरोना जीत जाते।
कवयित्री-हेमलता पुरोहित
No comments:
Post a Comment