अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
कहीं पंडितों ने वैदिया सजाये,
कहीं दुल्हे अपनी दुल्हन को लाये।
कहीं लड्डू, ग़ुलाब जामुन और श्रीखंड बनाए,
कहीं सजधज कर खूब जीमण जाए।
इस दिन का माहौल पूरे जश्न से मनाया,
खूब ढोल, पटाखे और बाजे बजाये।
ये सब हमें आज बड़ा याद आया,
ये पर्व अगले साल पुनः आने वाला।
फिर गुंजेगी शहनाई की गूंजे,
ये विश्वास हम सब ने दिलाया।
अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
कहीं पंडितों ने वैदिया सजाये,
कहीं दुल्हे अपनी दुल्हन को लाये।
कहीं लड्डू, ग़ुलाब जामुन और श्रीखंड बनाए,
कहीं सजधज कर खूब जीमण जाए।
इस दिन का माहौल पूरे जश्न से मनाया,
खूब ढोल, पटाखे और बाजे बजाये।
ये सब हमें आज बड़ा याद आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।उदास ना होना जिनका मिलन आज ना हो पाया,
ये पर्व अगले साल पुनः आने वाला।
फिर गुंजेगी शहनाई की गूंजे,
ये विश्वास हम सब ने दिलाया।
अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
![]() |
|
No comments:
Post a Comment