लाईफ इज नो श्योर,
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
हम तैयार होकर कुछ इस कदर,
घर से निकलेगे होकर बेखबर।
मेकअप लगाए ना लगाएं फेस पर,
मास्क लगाएंगे हमेंशा फेस पर।
तुम फिर पहचानो या ना पहचानो हमें,
हम सड़कों पर बेफ्रिकरी से चलेंगे।
भीड़ में जाए ना जाए अगर,
एकांत में भी ना रहेगे मगर।
ये दूरियां कुछ फांसलो में होगी,
पर लाईफ तो सिक्योर होगी।
लाईफ इज नो श्योर,
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
हम तैयार होकर कुछ इस कदर,
घर से निकलेगे होकर बेखबर।
मेकअप लगाए ना लगाएं फेस पर,
मास्क लगाएंगे हमेंशा फेस पर।
तुम फिर पहचानो या ना पहचानो हमें,
हम सड़कों पर बेफ्रिकरी से चलेंगे।
भीड़ में जाए ना जाए अगर,
एकांत में भी ना रहेगे मगर।
ये दूरियां कुछ फांसलो में होगी,
पर लाईफ तो सिक्योर होगी।
लाईफ इज नो श्योर,
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
“बे वजह घर से निकलने की जरुरत क्या है”
ReplyDeleteमौत से आँखे मिलाने की जरुरत क्या है
सब को मालूम है बाहर की हवा है कातिल
यूँही कातिल से उलझने की जरुरत क्या है
ज़िन्दगी एक नेमत है उसे संभाल के रखो
कब्रगाहों को सजाने की जरुरत क्या है
दिल बहलाने के लिए घर में वजह है काफी
यूँही गलियों में भटकने की जरुरत क्या है”
Supper
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