मिट्टी का जिस्म लेकर मैं पानी के घर मे हूँ|
मंजिल है मौत मै हरपल सफ़र में हूँ||
होना है अंत मेरा ये हरदम मालूम मुझे
फिर भी ना जाने मैं किस में मगरूर हूँ||
जान कर भी हकीकत अनजान हूँ किसलिए
जादू ये कौनसा है मै किस के असर में हूँ||
लगता है अब इसे दोस्ती अजीब है
मै इसके डर में हूँ ये मेरे डर मै है||
मुझे से ना पूछिये मेरे साहिल की दूरियां
मैं तो ना जाने कब से भवर_ द_ भवर में हूँ||
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