Sunday, 27 October 2019

दिवाली की बधाई

लो आ गई फिर दिवाली दीपों से सजाया आँगन है|
ये कथा श्री राम के घर लौट आने की कहती है,
भरा दुःख से जो उनका जीवन खत्म होता है|
ले आई रोशनी फिर से घने बादलो के बाद ,
सजाया इस खुशी में सबने अपने घर बाजारों को
मनाया धूम धमाके से दीवाली को जो ये है पर्व
 चली तब से खुशी मनाने की ये रीत है सब मे
करते आज है पूजन  लक्ष्मी माँ की आज तो
पर कही इस दौर में कुछ छूट गया हमसे फिर आज
नही माँ का है साया नही कुछ पुरानी सी दीवाली आज
फिर भी हम मनाने को दीवाली आज आये है|
सजा  फिर आज बाजार रोशन जमाना है
मगर दिल मे एक दर्द कुछ ऐसा समाया है
बताना भी नही आसा भुलाना भी नही आसा
बस दरखास्त इतनी सी जमाने से फिर से है|
पटाखों की गूंज में रोशनी की धूम में कही
एक बार कोई और भूखा आज ना सोएं
थोडा सा कम धुँवा कर के किसी गरीब को देदे|
दीवाली कुछ इस तरह फिर हम मनायेगे
ये ले लो प्रण आज के दिन खुशिया फिर
सब मे लुटाएंगे दीवाली सब के साथ फिर मनायेगे|

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