Thursday, 16 May 2019

दहेज

अभी तो शादी की कुछ रस्मे शुरू ही हुई थी कि अचानक एक हड़बड़ी सी मच गई जहाँ थोड़ी देर पहले हँसी ओर ख़ुशी फैली थी वहां एक अलग सा शोर हो गया दुल्हन ने कल ही तो मेहँदी ओर हल्दी लगाई थी और आज शादी से पहले ही ये सब हो गया बात है सगाई की दुल्हन तैयार हो कर आई और दुलहा भी तैयार दोनों को आमने सामने बिठा कर बस सगाई की रसम ही शुरू होने वाली थी कि उससे पहले लड़की वालों ने लड़के वालों के लिए कुछ कपड़े सब के लिए दिए तभी जहाँ ये रसम खत्म हो गयी और सगाई होना शुरू हुई तभी आपस मे बात करते करते ये बात चारो तरफ फेल गयी कि हमारे दामाद के तो इन्होंने कुछ दिया ही नही तभी लड़की वालों ने बड़े ही सहज भाव से कहा हो सकता है कि भूल गए हो तो एक लिफाफा अभी दे देते है या अभी ही लेकर आजाते है पर नही उनको तो जैसे कोई एक बहाना मिल गया हो वो तो पूरे सब के सामने जोर जोर से लड़की वालों को सुनाने लगे कि ये अगर एक छोटी सी रसम में इतनी बड़ी गलती कर सकते है तो शादी में तो ना जाने क्या क्या करेगे लड़की वालों की तरफ से बहुत समजाने पर भी नही माने शोर बढ़ता चला गया
तभी लड़की के पिताजी ने बोला कि मुझे नही करनी अपनी बेटी की शादी वहां जो रिश्तो की किम्मत तय करते है और अभी ये हाल है तो बाद में क्या करेगे
इसलिए आप लोग चले जायें यहां से इसतरह वो शादी नही हो पाई जब वो जाने लगें तब लड़की ने कहा रुको
लहरो ने बगावत कर दी तो किनारो का क्या होगा
फूलो ने बगावत कर दी तो बहारो का क्या होगा
अरे दहेज के लोभियों लड़कियों ने बगावत कर दी तो लड़को का क्या हो गा
इस तरह अगर दहेज कोई दहेज मांगे तो अपनी लड़की उस घर कभी ना दे क्यो की वो कभी वहाँ खुश नही रहे गी क्यो की वो लोग सिर्फ दहेज के भूखे है
ओर भिखारियो को भीक में कभी बेटी नही दिया करते

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