Monday, 6 April 2020

कर्म की पूजा

बात उन दिनों की है।जब मै किसी गाँव मे रहती थी।मेरे घर के पास जो घर था। वहाँ एक माँ अपने कहीं बच्चो के साथ रहती थी।उनके जीवन के बारे में सुन के लगा कि उन्होंने अपने जीवन मे बहुत दुःख देख कर बच्चों को बड़ा किया।पर अपने बच्चो को शिक्षा अच्छी दी थी। उस माँ के 11 बच्चे थे। 7 लडकिया ओर 4 लड़के थे।सब बड़े अच्छे से एक छोटे से घर मे रहते थे।माँ और बाप दोनो ने बहुत मेहनत कर उनको पढ़ाया।कुछ पढ़े कुछ ना पढे।लेकिन काम मे सब एक से बढ़ कर एक थे।
धीरे धीरे सब बड़े हो गये।लेकिन साथ मे उस माँ को भी बीमारी हो गई।बीमारी से माँ हमेशा सिर्फ अपने बच्चो के बारे में सोचती।लड़कियों की शादी कर दी।जैसे भी कर के उसके लड़के भी बहुत समझदार थे।उन्होंने दुख की घड़ी में मेहनत कर कर के अपने भाई बहनों का ध्यान रखा।
   उनके इस तरह की मेहनत को पूरा गांव देखता था।वो बच्चे और माँ घर के काम के अलावा दुसरा काम भी दिन भर करते थे।जिससे गाँव मे उनकी बहुत इज्जत थी।और सब उनके मेहनत के कारण उनसे प्यार करते थे।बच्चे चाहे गरीबी के दिन देखे ।पर कोई गलत आदत या काम चोर ना होने से सबके प्रिय थे।कभी किसी दूसरे को भी किसी काम के लिए मना नहीं करते थे।और अपने घर से कही दूर दूर से लडकिया पानी भरती थी।
ओर तो ओर लडकिया माँ की तबियत ज्यादा खराब होने पर पूरे घर का काम अकेली ही कर लेती थी।उसके साथ बहुत अच्छे से पढ़ कर अपने माँ बाप का नाम भी रोशन किया।ओर बाहर के भी कही काम लड़को के जैसे किया करती थी।दुसरो के घर मेहंदी तो बच्चो को पढ़ाना ओर कही अनेक काम करती थी।जिससे पूरा गांव उनको जानता था।लेकिन कभी उन्होंने कोई ऐसा काम नही किया ।जिससे उनके माँ बाप का नाम नीचे हो।लड़के भी इसी तरह कही काम करते और पैसो को माँ बाप को देकर घर चलाने में सहयोग करते थे।
            उन बच्चो की मेहनत ईमानदारी और काम के कारण वो पूरे गाँव के ओर घर मे सब के प्रिय थे।
          ना लडकिया घर के काम के लिए आलसी या पीछे थी।जिस के कारण लड़कियों की शादी होने पर भी उन्हें अपने ससुराल में कभी किसी बात की परेशानी नही हुई।और जीवन की गंभीर समस्याओं को लड़कियों ने बहुत समझदारी से सामना किया।और ससुराल में उनको बहुत इज्जत ओर सम्मान मिला।अपने कर्मो के ओर मेहनत के कारण  ही वो एक अच्छी जिंदगियो का गुजारा कर रही है।
            औरत यदि आराम प्रिय है ।तो कभी वो अपनी तथा अपने पति की उन्नति नहीं कर सकती है।तथा उसका वैवाहिक जीवन भी कहीं लम्बे समय तक अच्छा नही चलता है।कभी ना कभी उसकी कमियां नजर आने लगती है। और तब रास्ते अलग होने के सिवा कुछ नही बचता है।
     क्योंकि जीवन मे सभी जगह आप के रूप से ज्यादा आप के गुणों की पूजा होती है।और कुछ समय के लिए आपको आपका जीवन साथी कुछ नही बोलेगा।लेकिन जिसने हमेशा मेहनत करी ओर मेहनत करते हुवे अपने घर को इतने बच्चो के साथ सम्भालते हुवे अपनी माँ और बहनों को देखा।वो जिस दिन बोला उस दिन आप के पास कुछ नहीं बचे गा।
       वैसे भी लड़की हो या लड़का जो काम करते है। वो ही सबके प्रिय होते है।क्योंकि श्री कृष्ण भगवान स्वयं गीता जी मे कर्म करने के लिए कहते है।
  ओर मानव को तो काम करना ही पड़ता है।जिस तरह हम सोते है,उठते है,साँस लेते है,बैठे रहते है,वैसे ही काम करना होता है।और जो जितना काम करता है।वो उतना ही सबका प्रिय होता है।
   बच्चो,सिर्फ अच्छे कपड़े पहने ओर अच्छे से तैयार होंने या बातो को करने से ही आप सब के प्रिय नहीं हो सकते है।आपको अपने अंदर की आलसीपन को छोड़ना होगा।तभी आपका जीवन अच्छा गुजरेगा।
क्योकि रूप के लिए थोड़े दिन तक लोग आपकी तारीफ करेगे।फिर वो काम देखेगे।इसलिए हमेशा अपने घर के काम को आगे से आगे करे।ये कभी इंतजार ना करे।कि कोई कहेगा।तब आप काम को करेगे।
   ओर सारा काम अपनी पसंद ओर अगर सिर्फ अपने बारे में सोचना इससे तो आप ओर भी दूसरों  की नजरों में खुद गर्ज हो जाओ गे।ओर जीवन के एक मोड़ पर आपके पास कुछ नही बचेगा।
इसलिए अपने से ज्यादा दुसरो के बारे में सोचने वाला उनकी पसंद का ध्यान रखने वाला ही जीवन मे दुसरो के लिए महत्वपूर्ण होता है।और भगवान भी उसी के साथ होते है।
 मेेरी इस कहानी का प्रकाशन इन्दौर उज्जैन के विनय उजाला पेेपर मेें हुआ।

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बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...