Thursday, 30 April 2020

भूलें नहीं जाते

भूलें नहीं जाते हैं वो बीते हुए दिन,
अरे खट्टे मीठे बचपन के वो आइसक्रीम वाले दिन।
           गर्मियों की छुट्टियों में कंचे वाले दिन,
            भाग भाग के तोड़ रहे वो कैरी वाले दिन।
स्कूल जाते मस्ती करते किसी की नहीं है सुनते,
बात बात पर खींचा तानी फिर भी मिलते-जुलते।
                 भूलें नहीं जाते हैं वो स्कूल वाले दिन,
               अरे होमवर्क नहीं होता तो बहाने वाले दिन।
भूलें नहीं जाते हैं वो बीते हुए दिन,
कॉलेज जाना  तैयार होना सबसे आगे रहना।
           ‌‌ कैंटीन भी मिस नहीं करना बड़ा है याद आता ‌
   ‌‌‌           मम्मी की डांट है खाना कभी न भूला जाता।
भूलें नहीं जाते सितौलिया वाले दिन,
अरे आंख मिचौली खेल खेल के पकड़ाई वाले दिन।
            ‌‌      भूलें नहीं जाते हैं वो बीते हुए दिन,
        अरे खट्टे मीठे बचपन के वो आइसक्रीम वाले दिन।
 

Wednesday, 29 April 2020

दुःख हर लो

जीवन का एक सार तुम्हीं हो,
मोह माया का पाश तुम्हीं हो।
कर्तव्य पथ की राह तुम्हीं हो।
   ‌‌     तुमसे ही तो चांद सितारे,
‌‌          तुम बीन सारे जन बेसहारे।
            तुम ही तो निश्छल प्रेम हो,
तुमसे ही तो अम्बर वसुधा,
तुम बीन सारे खग भी हारे।
आओ आओ जल्दी आओ,
                अब भगवन ना देर लगाओ।
                 तुमसे ही तो मानव जन्मे,
                ‌‌‌‌‌तुम ना आये तो क्या रहने,
अब पतवार को पार लगा दो,
जल्दी आकर ये दुःख हर लो।
 ‌          

Monday, 27 April 2020

फेस दिखाएंगे दौबारा

लाईफ इज नो श्योर,
पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
   ‌     ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
        हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
हम तैयार होकर कुछ इस कदर,
घर से निकलेगे‌ होकर‌ बेखबर।
        मेकअप लगाए ना लगाएं फेस पर,
         मास्क लगाएंगे हमेंशा फेस पर।
तुम फिर पहचानो या ना पहचानो हमें,
हम सड़कों पर बेफ्रिकरी से‌ चलेंगे।
  ‌‌      भीड़ में जाए ना जाए अगर,
         एकांत में भी ना‌ रहेगे मगर।
ये दूरियां कुछ फांसलो में होगी,
पर लाईफ तो सिक्योर होगी।
            लाईफ इज नो श्योर,
              पर आइ एम कम्पलिट श्योर।
ये वक्त ना रहा तो मिलेंगे दौबारा,
हाथ मिलाए ना मिलाए फेस दिखाएंगे दौबारा।
          

Sunday, 26 April 2020

अक्षय तृतीया पावन पर्व

अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
         कहीं पंडितों ने वैदिया सजाये,
           कहीं दुल्हे अपनी दुल्हन को लाये।
 कहीं लड्डू, ग़ुलाब जामुन और श्रीखंड बनाए,
कहीं सजधज कर खूब जीमण जाए।
            इस दिन का माहौल पूरे जश्न से मनाया,
‌ ‌             खूब ढोल, पटाखे और बाजे बजाये।
ये सब हमें आज बड़ा याद आया,
हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
          उदास ना होना जिनका मिलन आज ना हो पाया,
        ‌       ये पर्व अगले साल पुनः आने वाला।
फिर गुंजेगी शहनाई की गूंजे,
ये विश्वास हम सब ने दिलाया।
             अक्षय तृतीया का पावन पर्व आया,
              हर साल हमने बड़ी धूमधाम से मनाया।
         
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Saturday, 25 April 2020

सतयुग का शुभारंभ

कलयुग का अंत हुआ लगता हैं,
सतयुग का शुभारंभ नजर आता है।

              ना किसी से गिले शिकवे रहे हैं,
                 ना कोई भाग दौड़ नजर आती हैं।
चैन से बैठे हैं घरों में अपने,
हर वक्त नाम जपने में रहते हैं।
                  भूल गए थे शायद पैसों के
  ‌‌                अलावा भी बहुत अरमान है।
आज वो अरमान पूरे नजर आते हैं,
अब ये जिंदगी ढलान पर है।
                   शायद इसलिए बेख़ौफ़ नजर आते हैं
                  कलयुग का अंत हुआ लगता हैं,
               सतयुग का शुभारंभ नजर आता है।
       

Friday, 24 April 2020

चांद के जैसे दीदार

चांद के जैसे अब उनके दीदार हो गए,
इस कदर वो हमसे निसार हो गए।
          लौट कर आए घर वापस तब तक,
                वो हमारे मेहमान हो गए।
हम कवारनटाइन क्या हुवे ,
उनके हाथ पीले हो गए।
                 चांद के जैसे अब उनके दीदार हो गए,
                 इस कदर वो हमसे रुखसार हो गए।
जो कभी एक पल नहीं रहा करते थे,
आज वो पूरे  बे ईमान हो गए।

Sunday, 12 April 2020

जंग-ए-कोरोना

लक्ष्मण रेखा तू पार न कर,
इंसानियत पर ये एहसान कर।
बिन वर्दी के तू फौजी हैं,
ये सोच के नियम पालन कर।
              हम अगर ये जंग जीत जाते,
               महामारी से फिर उभर जाये।
               जीवन पटरी पर आ जाये,
    ‌         जो वक्त़ मुश्किल ये गुजर जाये।
ये हिन्दू-मुसिलम वक्त नहीं,
मिल कदम उठाए सख्त सही।
जंग में मिसाल हम बन जाये,
जो जंग-ए-कोरोना जीत जाये।
                मुमकिन है दिक्कत बढ़ जाये,
                 ना मुमकिन कोई काम नहीं।
                 ये सोच कर जो बैठ गए,
                  सारी मुश्किल ही मिट जाते
                  हम जंग-ए-कोरोना जीत जाते।
                 
                   कवयित्री-हेमलता पुरोहित
                     


Wednesday, 8 April 2020

याद

आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
क्यों जब भी मुसिबत आई,
हरदम तुम याद आई।
               कुछ ना होने पर भी तुम,
                मैं दुर हूं ये सोचकर ही तुम,
                हरपल घबराती थी तुम,
              छुट्टी लगते ही पास बुलाती थी तुम
आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई।
अब मन नहीं करता मेरा,
उस शहर फिर जाने को,
पता है मां अगर आज तुम होती
तो फिर मेरी फिकर में डूबी होती।
                               आज फिर मां याद आई,
                                वैसे तो भूली नहीं गई।
                               क्या अब मन नहीं करता तेरा,
                              दूर से  पास बुलाने को
   ‌‌‌                           सबसे पहले तुम ये ही कहती,
                        ‌    जो भी होगा सब छोड़ के आजा ।
    आज फिर मां याद आई,
वैसे तो भूली नहीं गई। 
ये फिकर आज बड़ी याद आई,
तेरे जाने से किसी ने नही जताई।😢              

Monday, 6 April 2020

कर्म की पूजा

बात उन दिनों की है।जब मै किसी गाँव मे रहती थी।मेरे घर के पास जो घर था। वहाँ एक माँ अपने कहीं बच्चो के साथ रहती थी।उनके जीवन के बारे में सुन के लगा कि उन्होंने अपने जीवन मे बहुत दुःख देख कर बच्चों को बड़ा किया।पर अपने बच्चो को शिक्षा अच्छी दी थी। उस माँ के 11 बच्चे थे। 7 लडकिया ओर 4 लड़के थे।सब बड़े अच्छे से एक छोटे से घर मे रहते थे।माँ और बाप दोनो ने बहुत मेहनत कर उनको पढ़ाया।कुछ पढ़े कुछ ना पढे।लेकिन काम मे सब एक से बढ़ कर एक थे।
धीरे धीरे सब बड़े हो गये।लेकिन साथ मे उस माँ को भी बीमारी हो गई।बीमारी से माँ हमेशा सिर्फ अपने बच्चो के बारे में सोचती।लड़कियों की शादी कर दी।जैसे भी कर के उसके लड़के भी बहुत समझदार थे।उन्होंने दुख की घड़ी में मेहनत कर कर के अपने भाई बहनों का ध्यान रखा।
   उनके इस तरह की मेहनत को पूरा गांव देखता था।वो बच्चे और माँ घर के काम के अलावा दुसरा काम भी दिन भर करते थे।जिससे गाँव मे उनकी बहुत इज्जत थी।और सब उनके मेहनत के कारण उनसे प्यार करते थे।बच्चे चाहे गरीबी के दिन देखे ।पर कोई गलत आदत या काम चोर ना होने से सबके प्रिय थे।कभी किसी दूसरे को भी किसी काम के लिए मना नहीं करते थे।और अपने घर से कही दूर दूर से लडकिया पानी भरती थी।
ओर तो ओर लडकिया माँ की तबियत ज्यादा खराब होने पर पूरे घर का काम अकेली ही कर लेती थी।उसके साथ बहुत अच्छे से पढ़ कर अपने माँ बाप का नाम भी रोशन किया।ओर बाहर के भी कही काम लड़को के जैसे किया करती थी।दुसरो के घर मेहंदी तो बच्चो को पढ़ाना ओर कही अनेक काम करती थी।जिससे पूरा गांव उनको जानता था।लेकिन कभी उन्होंने कोई ऐसा काम नही किया ।जिससे उनके माँ बाप का नाम नीचे हो।लड़के भी इसी तरह कही काम करते और पैसो को माँ बाप को देकर घर चलाने में सहयोग करते थे।
            उन बच्चो की मेहनत ईमानदारी और काम के कारण वो पूरे गाँव के ओर घर मे सब के प्रिय थे।
          ना लडकिया घर के काम के लिए आलसी या पीछे थी।जिस के कारण लड़कियों की शादी होने पर भी उन्हें अपने ससुराल में कभी किसी बात की परेशानी नही हुई।और जीवन की गंभीर समस्याओं को लड़कियों ने बहुत समझदारी से सामना किया।और ससुराल में उनको बहुत इज्जत ओर सम्मान मिला।अपने कर्मो के ओर मेहनत के कारण  ही वो एक अच्छी जिंदगियो का गुजारा कर रही है।
            औरत यदि आराम प्रिय है ।तो कभी वो अपनी तथा अपने पति की उन्नति नहीं कर सकती है।तथा उसका वैवाहिक जीवन भी कहीं लम्बे समय तक अच्छा नही चलता है।कभी ना कभी उसकी कमियां नजर आने लगती है। और तब रास्ते अलग होने के सिवा कुछ नही बचता है।
     क्योंकि जीवन मे सभी जगह आप के रूप से ज्यादा आप के गुणों की पूजा होती है।और कुछ समय के लिए आपको आपका जीवन साथी कुछ नही बोलेगा।लेकिन जिसने हमेशा मेहनत करी ओर मेहनत करते हुवे अपने घर को इतने बच्चो के साथ सम्भालते हुवे अपनी माँ और बहनों को देखा।वो जिस दिन बोला उस दिन आप के पास कुछ नहीं बचे गा।
       वैसे भी लड़की हो या लड़का जो काम करते है। वो ही सबके प्रिय होते है।क्योंकि श्री कृष्ण भगवान स्वयं गीता जी मे कर्म करने के लिए कहते है।
  ओर मानव को तो काम करना ही पड़ता है।जिस तरह हम सोते है,उठते है,साँस लेते है,बैठे रहते है,वैसे ही काम करना होता है।और जो जितना काम करता है।वो उतना ही सबका प्रिय होता है।
   बच्चो,सिर्फ अच्छे कपड़े पहने ओर अच्छे से तैयार होंने या बातो को करने से ही आप सब के प्रिय नहीं हो सकते है।आपको अपने अंदर की आलसीपन को छोड़ना होगा।तभी आपका जीवन अच्छा गुजरेगा।
क्योकि रूप के लिए थोड़े दिन तक लोग आपकी तारीफ करेगे।फिर वो काम देखेगे।इसलिए हमेशा अपने घर के काम को आगे से आगे करे।ये कभी इंतजार ना करे।कि कोई कहेगा।तब आप काम को करेगे।
   ओर सारा काम अपनी पसंद ओर अगर सिर्फ अपने बारे में सोचना इससे तो आप ओर भी दूसरों  की नजरों में खुद गर्ज हो जाओ गे।ओर जीवन के एक मोड़ पर आपके पास कुछ नही बचेगा।
इसलिए अपने से ज्यादा दुसरो के बारे में सोचने वाला उनकी पसंद का ध्यान रखने वाला ही जीवन मे दुसरो के लिए महत्वपूर्ण होता है।और भगवान भी उसी के साथ होते है।
 मेेरी इस कहानी का प्रकाशन इन्दौर उज्जैन के विनय उजाला पेेपर मेें हुआ।

Saturday, 4 April 2020

आओ दिप जलाये

आओ मिल संकल्प करें हम,         
देश हित ये काम करे हम।
           पर समय का भी ध्यान धरे हम,
           5 अप्रैल को भूल ना हम।
मिलकर के सब दिप जलाये,
9 बजे को भूल ना जाये।
            लाइट चालू कहीं रह ना जाये
               अंधियारा करके डिपो से
जगमग ज्योत जलाये,
9 मिनट तक पूरा करे
               एक साथ कामना करें हम,
                 विश्व विजय हो हमारा भारत,
कोरोना को दूर करो तुम,
ईश वंदना करे ये सब हम।         
                   आओ मिल संकल्प करें हम,
                    देश हित ये काम करे हम।
मिलकर दिप जलाये हम।

Friday, 3 April 2020

कोरोना नहीं होता

जैसे हर चमकती चीज का ,
  मतलब सोना नहीं होता।
वैसे हर एक छिक का  ,
मतलब कोरोना नही होता।
                 केवल पानी से हाथ धोना,
                    हाथ धोना नही होता।
               20 सेकंड साबुन से हाथ धोना,
                    जिससे  कोरोना नहीं होता।
ऐसे खतरनाक वायरस का,
 इलाज जादु टोना नही होता।
सावधानी,साफ सफाई रखने ,
   पर कोरोना नही होता।
                    जागरूकता सावधानी रखने वालों को ,
                             बाद में रोना नही होता।
                    भीड़ भाड़ से दूर रहने वालो को,
                            कभी कोरोना नही होता।
घर से बाहर जाना लोगो से ,
     हाथ मिलाना नही होता
क्योकि नमस्कार करने वालो को,
        कोरोना नही होता।
                        महामारी के इस दौर में,
                         हमे धैर्य खोना नहीं होता।
                     सेनेटाइजर ओर मास्क के प्रयोग से,
                         कोरोना नही होता।
समय रहते सचेत होंगे तो ,
अपनो को खोना नही होता।
रोगी स्वयं आइसोलेट हो जाये तो ,
ओरो को कोरोना नही होता।

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...