Monday, 30 December 2019

नववर्ष की खुशी

आया नववर्ष  मन में है हर्ष,
मुझे सुर संगीत सजाने दो,
जो बीत गया उसे जाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                       मन में हैं उमंग तन में है तरंग,
                       हर ओर दिखा खुशियों का रंग,
                        नया इंद्रधनुष खिलाने दो,
                       मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
कुछ इच्छाये नहीं हुई पूर्ण,
कुछ कामनाओ का हुआ चूर्ण,
मुझे नव संकल्प सजाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                          हो जाये जग में अमन चैन,
                           बीते काली अंधियारी रैन,
                           सुख का सूरज उग जाने दो,
                            मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
बारूद नहीं हथियार नहीं,
बरसे रिमझीम प्रेम यूँही,
मुझे नववर्ष मनाने दो,
मुझे गीत ख़ुशी के गाने दो।।
                                 कवियत्री
                                    हेमलता पुरोहित

Saturday, 28 December 2019

सुहानी सर्दी

जाड़े की रात सुहानी हैं,
जाड़े की बात सुहानी हैं,
सच पूछो तो मुझको,
ये सब ऋतुओ की रानी हैं।
          सुशोभित होते लोग सभी,
           गरम ऊनी मुकूट पहने,
          शाल  दुशाले और मफ़लर,
           सर्दी की वर्दी पहनें।
गरमागर्म  चाय कहीं,
तो अलाव तापते हाथ कहीं,
धुंवा धुंवा हो जाता तन,
जब बढ़ जाती है ठिठुरन।
               ओस की बूंदें पत्तों पर,
               गिरकर  इतना  इतराती हैं,
                सर्दी  में  बढ़ते हैं तेवर,
                मावट का जल बरसाती हैं।
घने कोहरे की ओट से,
खिलखिलाती हैं धूप कभी,
ऐसा लगता हैं  मानो,
सर्दी भी दिखाती हैं रूप कभी।।
                                              कवियत्री
                                                 हेमलता पुरोहित

Saturday, 21 December 2019

माँ को समर्पित

तू ही ब्रह्मा तूने सृजन किया,
तू ही विष्णु तूने भरण किया।
तू ही शिव का अवतार है माँ,
इस जग में तू दातार है माँ।।
                जब से तूने  पाया है मुझको,
                 अपना जीवन बिसराया है माँ।
                 क्या सुख क्या दुःख ये भूल गई,
                  मुझमें ही सब कुछ पाया माँ।।
देवी सरस्वती बनकर के माँ,
अक्षर का ज्ञान कराया माँ।
प्रथम गुरु बनकर के मुझको,
जीवन का पाठ पढ़ाया माँ।।
                    तेरी परछाई कहलाती,
                     तेरे बल पर में इठलाती।
                      तेरी ममता का फूल हु माँ,
                       तेरे चरणो की धूल हु माँ।।
कुछ दे ना सकी इस जीवन में,
सब कुछ तुजसे ही पाया माँ।
तू प्रभुता हैं मै लघुता हु,
बस अपना शीश नवाया माँ।।
     कवियत्री- 
       हेमलता पुरोहित


                   



Tuesday, 17 December 2019

सब बढ़िया है

अपने दुःख दर्द छिपाने का
बस बचा एक ही जरिया है
जब पूछे कोई कैसे हो
हम कह देते सब बढ़िया है
               चेहरे पर मुस्कान लिए
                वाणी में रहते रस घोल
                स्वप्न सरीखा यह जीवन
                जो सरक रहा होले होले 
अश्रु किन्हें हम दिखलाये
किस से हम मन की बात कहें
बेतहर लगती पीड़ा अपनी
भीतर अपने चुपचाप सहे
                    कुछ पीड़ा सुन दुःखी हो जायेगे
                    कुछ पीड़ा सुन मुस्काएगे
                     कुछ नमक छिड़क कर जायेगे
                     कुछ पाप पुण्य का लगा गणित
पापों का फल बतलाएँगे
किस की जिव्हा हम पकड़ेंगे
किस किस के होंठ सिलायेंगे
ऐसा बोले तो क्यों बोले
                       किस किस से लड़ने जायेंगे
                        चुपचाप सुनेंगे तानो को
                       दिल अपना भी एक दरिया है
                       फिर पूछेगा जब हाल कोई
                      तो कह देगें 'सब बढ़िया है'|

Sunday, 15 December 2019

विजय दिवस की शुभकामनाएं

लहू के हर कतरे से इंकलाब
                    लिखना ये बड़ी क्या चीज़ है
    ऐ वतन तू ही बता 
              तुझसे बडी क्या चीज़ है
    जिन्दगी जब तुझको समझा 
              मौत फिर क्या चीज है  
  तेरे लिए प्राणों को देना
                 ये बड़ी क्या चीज है
दुश्मन को मिट्टी में मिलाना
               ये तो एक खेल है
आगाज़ जिसका कर दिया
             अंजाम बड़ी क्या चीज़ है
झुकने ना देंगे शान अपने
                       देश की ये बात है
विजय दिवस पर सब वीरो को
                      कोटि कोटि नमन है 

Saturday, 14 December 2019

प्यार का बंधन

रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया                                                आपसे हर बात अच्छे से  सिख गयी
कल तक जो पल में बिखर जाती
                 आज वो समेटना भी जानती
       वो भी क्या दिन थे जब रुठ के घर सर पर उठाती                       आज वो रूठो को मनाना सीख गई
            रिश्ते तो मिलते है मुकदर से
      बस उसे खूबसूरती से निभाना सिख गयी
रिश्ता आप से कुछ ऐसा जुड़ गया     
आपसे हर बात अच्छे से  सिख गयी 
आपकी वफ़ा मुझ पर उधार रहेगी
मेरी जिंदगी आप पर ही निसार रहेगी
दिया है आपने इतना प्यार मुझे
की मर के भी आपकी कर्जदार रहेगी
                     

Saturday, 7 December 2019

याद के साथ दुआ

आज से कल का दिन बड़ा खराब होगा
पूरे 1 साल के बाद ना जाने क्यों आया होगा

ले गया दूर हम से हमें जन्म देने वाली माँ को
इसको दया भी ना आई छोटे छोटे बच्चों को

इस भीड़ में तन्हा कर दिया सच ये खराब होगा
आज से कल का दिन बड़ा खराब होगा

भूला नहीं सकते कभी उसके हर दर्द को
जो उसने हमारे लिए सहे होगे कही राते

जग कर हमें चेन की नींदे दी होगी पर
फिर भी माँ आज जमाने से बचाने के लिये

अपनों को तुम्हें भुलाना होता है और हर
नई राह को परिवर्तन के अनुसार चुना होता है

बस भगवान से एक दुआ है मेरी की
अगला जन्म आपका बड़ा खुशनुमा हो

क्योंकि जब भी गीता को पाठ आप पड़ती तब
एक बात हमेशा कहती वो बात बार बार याद आती

की आत्मा कभी नही मरती वो तो बस
एक शरीर से दूसरे में जाती है और वो

भगवान पहले ही सोच लेता है तभी तो
पुराने वाले शरीर से बाहर जाने देता है

जैसे हम नए कपड़े का इंतजाम करने के
बाद ही तो पुराने कपड़ो को छोड़ते है

आपकी ये बात एक सुकून देती है कही
की आप अब फिर इस धरा पर तो है

बस थोड़ा हम से दूर कहीं अपने नये
परिवार में होगी जहाँ आपके आने की
ख़ुशी हर चहरे पर दिखती होंगी

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...