Thursday, 31 October 2019

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस

शोभित है भारत माँ मेरी
जिसमे मध्यप्रदेश है
बधाई हो जन-जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है
चारो तरफ़ हरियाली फैली
सुख समृद्धि की खान है
नदिया जहाँ आपस मे मिलती
घर इनका मध्यप्रदेश है
बधाई हो जन- जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है|
पर्यटन का सुंदर स्थल
ओंकारेश्वर महान है|
तीर्थों की पावन ये धरा है
ऐसा मध्यप्रदेश है|
बधाई हो जन-जन सबको
स्वणिम स्थापना दिवस है|,🙏

Wednesday, 30 October 2019

अलविदा दिवाली

लोगो ने ख़रीदे सोना चाँदी,
मैंने एक सुई खरीद ली|
 सपनों को बुने सकू ,
उतनी सी डोरी खरीद ली|
सबने अपने अपने लिए कुछ लिया|
मैंने अपने सपनो को कम कर लिया|
शोक ए जिंदगी कम कर के,
सुकून ए जिंदगी खरीद ली|
माँ लक्ष्मी से यही प्रार्थना है
धन बरसे ना बरसे ,
कोई गरीब रोटी को ना तरसे||🙏

Sunday, 27 October 2019

दिवाली की बधाई

लो आ गई फिर दिवाली दीपों से सजाया आँगन है|
ये कथा श्री राम के घर लौट आने की कहती है,
भरा दुःख से जो उनका जीवन खत्म होता है|
ले आई रोशनी फिर से घने बादलो के बाद ,
सजाया इस खुशी में सबने अपने घर बाजारों को
मनाया धूम धमाके से दीवाली को जो ये है पर्व
 चली तब से खुशी मनाने की ये रीत है सब मे
करते आज है पूजन  लक्ष्मी माँ की आज तो
पर कही इस दौर में कुछ छूट गया हमसे फिर आज
नही माँ का है साया नही कुछ पुरानी सी दीवाली आज
फिर भी हम मनाने को दीवाली आज आये है|
सजा  फिर आज बाजार रोशन जमाना है
मगर दिल मे एक दर्द कुछ ऐसा समाया है
बताना भी नही आसा भुलाना भी नही आसा
बस दरखास्त इतनी सी जमाने से फिर से है|
पटाखों की गूंज में रोशनी की धूम में कही
एक बार कोई और भूखा आज ना सोएं
थोडा सा कम धुँवा कर के किसी गरीब को देदे|
दीवाली कुछ इस तरह फिर हम मनायेगे
ये ले लो प्रण आज के दिन खुशिया फिर
सब मे लुटाएंगे दीवाली सब के साथ फिर मनायेगे|

Monday, 21 October 2019

मौत

मिट्टी का जिस्म लेकर मैं पानी के घर मे हूँ|
मंजिल है मौत मै हरपल सफ़र में हूँ||
होना है अंत मेरा ये हरदम मालूम मुझे
फिर भी ना जाने मैं किस में मगरूर हूँ||
जान कर भी हकीकत अनजान हूँ किसलिए
जादू ये कौनसा है मै किस के असर में हूँ||
लगता है अब इसे दोस्ती अजीब है
मै इसके डर में हूँ ये मेरे डर मै है||
मुझे से ना पूछिये मेरे साहिल की दूरियां
मैं तो ना जाने कब से भवर_ द_ भवर में हूँ||

Thursday, 17 October 2019

करवा चौथ की बधाई

मेहंदी हाथों में पिया तेरे नाम की,
रहे साथ तेरा मेरे जीवन की डोर से।

लो आज सजी फिर दुल्हन सी पिया तेरे नाम की,
है ख्वाईश यही प्रभु से मेरी हर साँस तेरे नाम की।

जब-जब सजू हर श्रृंगार पर हो नाम तेरा ही पिया,
तेरे लिए ही आज मैंने करवाचौथ है किया।

 तेरे सिवा कोई और ना हो साथ मेरे पिया,
भरो मेरी माँग तब फिर से तुम एक बार पिया।

यही विनती है मेरी आज के इस पर्व पर,
जब भी मेरी हो आखरी साँस तेरे नाम की।

चलू हो के सवार तेरे ही कंधो पर पिया,
लो आज फिर करवाचौथ मैंने की पिया।

Tuesday, 8 October 2019

बेटी दिवस

जब सोचती हूँ बैठ के बेटी क्या है?
तब बात एक ही आती है दिल मे ,
कड़ी धूप में छाँव सी होती है |
माँ के बाद दूसरी माँ बन जाती है,
अश्क आँखों मे भरकर भी मुस्कुराती है|
इनके बिना सुनी होती हैं बगिया ,
इनसे ही रोशन होती हैं दुनिया ,
खुदा की इस धरती पर इनायत है बेटियां|
फिर भी कहते हैं लोग की,
बेटो सी नही होती है बेटिया|
कही घरो में बेटे की आस में ,
आज भी पिसती है बेटिया |
कोख़ में आज भी मारी जाती है बेटिया|
बदलते परिवेश में हिफाजत नही है बेटिया
सहते हुवे दर्द और मुश्किल को भी
मुस्कुराती है बेटिया|
अपनो के लिए कई गम सहती है बेटिया
ना जाने क्यों फिर भी मारी जाती है बेटिया|

दशहरा की शुभकामनाएं



ना उठे आँख किसी बहन, बेटी के आँचल पर। 

ना जले कोई बहु, पत्नी अत्याचारो के बल पर।।

बस इसी के साथ आज का रावण दहन कर दो।

हर लड़की को माँ,बेटी,बहन सी इज्जत दे दो।।

बुराई को खुद से और इस देश से दूर भगाओ।

अच्छाई को अपने जीवन मे अपनाओ।।


रावण को जलाओ ओर भ्रष्टाचार मिटाओ।

प्रगति के पथ पर भारत देश को आगे बढ़ाओ।।


दहन पुतलो का ही नही, बुरे विचारों का भी करना होगा।

श्री राम का कर के स्मरण, हर रावण से लड़ना होगा।।


शांति अमन के इस देश से, अब बुराई को मिटाना होगा।

आतंकी रावण का दहन करने, आज फिर श्री राम को आना होगा।।


बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...