जाने क्या सोचती रहती हूं आजकल
एक उदेर्ड बुंन्न मे लगी रहती हूं आजकल
सफऱ को रफ्तार देने की सोचती हूं फिर
कोई और सोच में डूब जाती हु आजकल
बिन परिदों के पर लगे है सोच में
जाने क्या सोचती रहती हूं आजकल
हकीकत को खवाबो से जोड़ती हु आजकल
कुछ नया करने की सोचती हूं आजकल
पर बेड़िया पैरो में लगी
No comments:
Post a Comment