Thursday, 28 December 2017

हमसफ़र

"मेरा मुकदर इस तरह से बदल गया
वो क्या मिले मुझे मेरा नसीब बदल गया |
ना सोचा कभी आरजू यू पूरी होगी 
जो दुआओ में माँगा वो ही हकीकत होगी"|

"आरजू ये नही की हर खवाईशे पूरी हो 
दुआ ये नही की हर ख़ुशी मेरी जोली में हो 
बस तमना इतनी सी है ख़ुदा से 
जब आँखे बंद हो तो साथ हमसफर हो|

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