Wednesday, 27 December 2017

जीवन का सच

काफ़िला जीवन का इस तरह शुरू हुआ
मंजिल मिल के भी मिल ना सकी
हम शुरू जहां से हुवे वही फिर मिले
सोचते रहे कि जीवन कि मुश्किल अब
हल हो पर राहे मुसीबत कम ना हुई,,

देखो जमाना इस तरह बदल गया
सहदे में जुकता था सर जिसके
आज उसी माँ को आँखे दिखाने लगा
लोग जिस की पूजा करते थे उसकी
अब रहने तक  की जगह तक ना रही
दर दर गुम रही वो हर चीज को मोहताज हैं

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