काफ़िला जीवन का इस तरह शुरू हुआ
मंजिल मिल के भी मिल ना सकी
हम शुरू जहां से हुवे वही फिर मिले
सोचते रहे कि जीवन कि मुश्किल अब
हल हो पर राहे मुसीबत कम ना हुई,,
देखो जमाना इस तरह बदल गया
सहदे में जुकता था सर जिसके
आज उसी माँ को आँखे दिखाने लगा
लोग जिस की पूजा करते थे उसकी
अब रहने तक की जगह तक ना रही
दर दर गुम रही वो हर चीज को मोहताज हैं
मंजिल मिल के भी मिल ना सकी
हम शुरू जहां से हुवे वही फिर मिले
सोचते रहे कि जीवन कि मुश्किल अब
हल हो पर राहे मुसीबत कम ना हुई,,
देखो जमाना इस तरह बदल गया
सहदे में जुकता था सर जिसके
आज उसी माँ को आँखे दिखाने लगा
लोग जिस की पूजा करते थे उसकी
अब रहने तक की जगह तक ना रही
दर दर गुम रही वो हर चीज को मोहताज हैं
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