मिस यू
लवयू
से उठकर देखा तो
तो मां याद आई मुझे
जो पापा के काम पर
जाने के बाद उनके आने तक
कभी उसने मिस यू न कहां
पर अगर चुड़ी चटकी और
आंख फड़की तो फिर भगवान
से भी लड़ जाती जब तक पापा
न आए तो मजाल है भगवान भी
चले जाएं बहुत जिद्दी होती है माएं
पापा को कभी मिस नहीं करती बस
याद करती है दुआ करती है कि सही
सलामत घर आ जाएं कोई मन्नत
मांग लेती है पर मिस नहीं करती
न कभी मिस यू न कहती तो लव यू
क्या कहेगी दिन दिन भर भूखी रहती
हर हाल में उसके साथ खड़ी रहती
बस चेहरा देख समझ जाती हर
तकलीफ़ नाप लेती लडती उसी से
फिर उसके ही सिने से लग रो पड़ती
पर आई लव यू नहीं कहती
मां पापा का प्रेम ऐसा है कि
बिन कुछ कहे सब समझ जाते हैं
मौन भाषा में भी हर बात साझा
हो जाती है पर मां पापा की बात
कभी भी मिस यू और लव यू
पे खत्म नहीं होती बस सांसों
और धड़कनों पर चलती है
हिन्दुस्तान में हर जिंदगी
बस इसी तरह हंसती है ।
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