Sunday, 25 October 2020

रावण हंसकर पूछ रहा


 रावण हंसकर पूछ रहा ये 

दुनिया तुम बतलाओ ना 

राम ने जब से मुझको मारा 

तुम भी मुझे जलाते हो 

अपने अंदर झाको जरा अपने अंदर झांको 

क्या तुम में बुराई नहीं 

मैंने कुल के उद्धार हेतु

सीता को उठाया था

 फिर भी मैंने नारे के अस्तित्व को नहीं छुआ 

मर्यादा में रहकर मैंने उनको रखा था

 किंतु आज नजर उठाओ 

इतने रावण पाओगे 

मेरे नाम के भी लायक नहीं 

इतने कलंकी पाओगे 

किसी किसी के मन में तो

बस छल का ही साया है 

कपट द्वेष और अहंकार की चारों ओर माया है 

स्वार्थ से भरा हुआ जब मनुज हुआ है 

तो मुझको जलाने से क्या फायदा होगा 

जलाना है तो  बुराई जलाओ

 जो नष्ट हुई तो  दशहरा मनाओ

वरना भ्रम में जीने का कुछ 

सारांश नजर ना होता मुझको

रावण हंसकर पूछ रहा ये,

 दुनिया तुम बतलाओ ना||


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