सिसक कर रोज रोता है, सुबह अखबार देश में
दरिंदे भेडियो से है ,भरा बाजार देश में
खबर सुन रेप का ऐसा ,दहल जाता हमारा दिल
न जाने चूक करती है, कहां सरकार देश में
मनुजता छोड़ पशुता की ,रफ्तार बड़ी देश में
जरा सोचो यहां कैसे, रहेगी बेटियां सबकी
हदे हैवानियत की जब,करे नर पार देश में
रही ना शेष इनमें कुछ,इंसानियत बाकी
तो क्यों ना सरेआम इनको जला दे देश में
अगर इस तरह सबक मिला ना इनको
तो बढ़ते रहेंगे पाप देश में
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