Tuesday, 5 January 2021

  मां सी होती है मौसी

ममता की मूरत जैसी 

परछाई भी बिल्कुल वैसी

शीतल छाया मां के जैसी

हमसे लाड लड़ाती इतना 

आंचल  में छुपाती उतना

 नजर कहीं लग जाए ना

 पल-पल बलाई लेती उतना

 ठेस कहीं लग जाए हमको

मन को यह भाता ना उसको 

 व्याकुल सी हो जाती वह भी

और ज्यादा ज्यादा प्यार लुटाती

जल्दी जल्दी ठीक हो जाए

 ईश्वर से वह प्रार्थना करती

कदम छू ले ऊंचाइयों के हम

वह नित नित ये प्रार्थना करती


5 comments:

  1. मौसी मां की परछाई जैसी होती है ममता की मूरत होती है यह पवित्र रिश्ता आपकी यह कविता मन को छू जाती है अति सुंदर

    ReplyDelete
  2. Very nice dear... God bless you always

    ReplyDelete

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...