लिखे राम पे ग्रंथ किसी ने
हमनें दिल में राम लिखा ।
सबने उनके काम को पूजा
हमनें बस निष्काम लिखा ।।
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कहे किसी नें मानव उनको
लगे किसी को अवतारी ।
सुलगे लाखों प्रश्न राम को
जब भी पूर्ण विराम लिखा ।।
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जगपालक जन मन के नायक
जननी ,जनक दुलारे को ।
राजा माना बहुतेरों नें ,
हम नें बस आवाम लिखा ।।
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पावन सरयू सलिला जैसी
श्यामल जिनकी काया थी ।
उनके श्री चरणों को छूकर
हमनें सिर्फ प्रणाम लिखा ।।
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दुराचार के संहारक थे ,
सदाचार के पोषक जो ।।
ऐसे पालनहार प्रभू को ,
हमनें भी सुखधाम लिखा ।। 🙏
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जिनके छूने से पत्थर में
प्राणों का संचार हुआ ।
हमनें उस पग के रज कण को ,
साधक का परिणाम लिखा ।।
Sundar 🙏👌👌
ReplyDeleteTxs
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