5 सितम्बर ंशिक्षक दिवस ंआज पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्मदिन जिन्होंने शिक्षा के महत्व को प्रतिपादन किया ,यह शुभ दिन हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
संसार के महान दार्शनिक भारत के सर्वोच्च पद पर स्थित राष्ट्रपति और संसार के महान विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक के रूप में विख्यात हैं।
उन्होंने इन तीनों रूपों में अपनी ज्ञान गरिमा और आदर्श जीवनचर्या का परिचय दिया। जीवन तथा जगत को सच्चाई से अवगत करवाया , और ये बता़या निर्भीक और सत्यवादी होता है ज्ञान ।
दर्शनशास्त्र इसी सच्चाई का अन्वेषण करता है। डॉ, राधाकृष्णन ज्ञान की इसी उच्चतम स्थिति में आधिष्ठित थे। भारत सरकार ने उन्हें रूस में भारत का दूत बनाकर भेजा था उनकी भेंट प्रशासक स्टालिन से तय की गई थी । जहाज के डेक पर निश्चित की गई ।
स्टालिन ने राधा-कृष्ण से पुछा आपको हमारा देश कैसा लगा डॉक्टर डॉ राधाकृष्णन ने कहा यहां तानाशाही है और जहां तानाशाही है वहां व्यक्ति की पूजा होती है । आपका देश तथा उसकी जनता आजाद नहीं कही जा सकती । स्टालिन के तेवर चढ गए। मुलाकात में खत्म हो गई। डॉक्टर राधाकृष्णन विदा हुए। उन्हें अपने स्तर के परिणाम के प्रति का प्रिया का अनुमान था सेक्रेटरी ने स्टालिन से पूछा, इस व्यक्ति से क्या और कैसा व्यवहार किया जाए ? स्टालिन ने कहा जाने दो यह राजनीतिक नहीं है,, दार्शनिक है ,स्टालिन राजनीति को दर्शनिक का फर्क जानता था। वह जानता था राजनीतिक कभी सच नहीं बोलता ,और दार्शनिक कभी झूठ नहीं बोलता ।
उनका जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका तात्पर्य है कि शिक्षक दार्शनिक राष्ट्रपति से बढ़कर होता है । हर प्रकार से शिक्षक का पद संसार में सर्वाधिक ऊंचा माना जाता है। इसलिए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन के शिक्षकों होने की विशेषता से यह सम्मान प्राप्त कर गया।शिक्षक में राष्ट्रपति की महानता और दार्शनिक की सच्चाई और ज्ञान को समाहित होता है ।मनुष्य मात्र के कल्याण की कामना होती है। गुरु को ईश्वर से ऊंचा स्थान दिया जाता है कबीर कहते हैं ,,,
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय भला हुआ गुरु आपने गुरु आपने जीण गोविंद दियो बताए,,
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