Saturday, 30 May 2020

फिर भी पढ़ाई करे

ये लाॅकडाउन हुआ तो क्या ,
स्कूल बंद हुआ तो क्या,
फिर भी पढ़ाई करे ओ साथी
फिर भी पढ़ाई करे ओ साथी।
            ‌ ‌ कभी टी.वी कभी मोबाइल,
             कभी दीक्षा कभी वाट्स अप,
              पर  टिचर से मिले ओ साथी
            उनसे  पढ़ाई करे ओ साथी।
ये मुसिबत कम नहीं है,
कभी विडियो काॅल करे
पर हौसले ना रूकने दे,
फिर भी पढ़ाई करे ओ साथी।
              ‌  सरकार की ये कोशिश
                टिचर के बताए रास्ते
             पर हम तो मिलकर चले ओ साथी
         ‌‌      फिर से पढ़ाई करे ओ साथी।

           ‌‌
                         
                                      ‌‌  ‌

                      ‌‌‌     

Tuesday, 26 May 2020

फितरत

जब मैं पहली बार मेंघा से मिली।मुझे वो बहुत अच्छी लगी।वो बिना किसी की परवाह किए।जो कहना होता सामने वाले को कह देती।ना ये सोचती की उनके मन को कैसा लगेगा। धीरे धीरे मैं उसके साथ रहने लगी।और मैंने एक नई बात समझी‌।कि मेघा उनके साथ बहुत अच्छे से भी रहती थी। मुझे ये दोनों बातें समझ ही नहीं आ रही थी ।कि वो ये सब कैसे कर लेती है। फिर मैं उन लोगों के साथ भी रहने लगी। तो मुझे पता चला कि उसकी इस हरकतों से सब उसे साफ दिल का समझते थे।पर वो तो अपने बारे में सही और अच्छा तथा दूसरे कि छवी बिगाड़ने में लगी रहती थी।वो उन्हीं लोगों की बुराई उनके पिछे से करती रहती थी।ऐसा नहीं बल्कि धीरे-धीरे मैंने जाना कि वो बहुत से लोगों की बुराई करती हैं। कोई ऐसा इंसान नहीं होगा।जिसकी तारीफ वो उसके स्वार्थ के बिना करती हो।और मुंह पर वो उन सब से कभी बहुत अच्छी रहती।और कभी लड़ लेती या ऐसे तिखे शब्दों से बात करती जिससे वो उनसे कितना स्नेह करती हैं। ऐसा ही लगता रहे।और तो और वो हंसी ठिठोली भी कर लेती थी। इतने मैं एक दिन मैंने सोचा जब ये जिनके इतनी करीब हैं ।उनकी बुराई करती भला बुरा कहती हैं और किसी को नहीं छोड़ती । तो वो मुझे क्या छोड़ेगी।और धीरे धीरे मैं उससे दूर हो गई।और जैसा मैंने सोचा वैसा ही करने लगीं। वो मेरी बुराई और अपने को अच्छा बताने में लगी रहती थी।
लेकिन एक बार में मुझे उसे दूर होने पर ये बात समझ में आई कि भविष्य में ऐसे लोगों से दूर रहें।

Tuesday, 19 May 2020

मां के रक्षक

मां के गौरव की रक्षा को,
निज प्राणों की आहुति दूं‌।
             ये कर ना सका मेरा तन तो,
       ‌        फिर इस मां की धरा पर व्यर्थ रहूं।
दुश्मन नित दिन शीश उठाते हैं,
मां के आंचल को छलते हैं।
               मैं पूत्र कहो फिर कैसा हूं,
                 छलनी ना कर दूं दुश्मन को
रण में जाए प्राण अगर,
आतुर ना होना मां मगर
                हर सैनिक पूत्र मां यही कहें
               ‌ तेरी आंचल की रक्षा का कर्तव्य करें
हम रक्षा को तैयार खड़े
तिंरगे में लिपट के देह सजे।
                         

Saturday, 9 May 2020

हमसफर

रिश्तों की परवाज़ यूं उड़ी,
जाकर सीधी हमसफर से जुड़ी।
           पहले पहले बहुत हिचकिचाहट हुई,
            जब तक जान पहचान ना हुई।
धीरे धीरे सफर की शुरुआत हुई,
तब जाकर पंतग दिल के आसमान तक गई।
        ‌‌‌     अब हौले हौले वो दिल में हिलौरें लेती हुई,
               कुछ सांसों की डोर से भी बंधती गई।
हमसफर के आगे सब फिका लगने लगा,
तब रिश्ता मजबूत लगने लगा।
     ‌‌‌         पिया के आने की जब राह देखती,
               तब  तो नजरें भी सवाल करती।
कभी जो उड़ता परिंदा थी,
आज वो किसी के नाम हो गई।
               

Saturday, 2 May 2020

दोस्ती

हर रिश्ते सी पवित्र हैं दोस्ती,
         सागर से भी गहरी हैं दोस्ती।
मां की ममता सी छांव है दोस्ती,
         भाई बहनों के प्यार सी  है दोस्ती।
‌‌कुछ उलझे रिश्तों की सुलझन हैं दोस्ती,
          फंसे मंजर से बाहर निकालती हैं दोस्ती।
कई पुण्यो मिलती है दोस्ती,
            खुदा की रहमत होती हैं दोस्ती।
चंद फासलों से भूली नहीं जाती हैं दोस्ती।
               मुस्कुराहट देने वाली जादू है दोस्ती,
कृष्ण सुदामा सी प्यारी होती हैं दोस्ती।
                    गिले शिकवे मिटाती है दोस्ती,
कहीं नजर ना लगे जाए मेंरे दोस्त को,
                       इसलिए मैं ना बताती हूं दोस्ती।
सबसे छुपाती हूं मैं अपनी दोस्ती,
                दुनिया में कयामत तक सलामत रहें दोस्ती।
             

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...