Tuesday, 30 April 2019

जिंदगी

*न मैं गिरी,और न मेरी*
      उम्मीदों के मीनार गिरे..! 
       पर.. लोग मुझे गिराने मे
    कई बार गिरे...!!"                
      सवाल जहर का नहीं था
       वो तो मैं पी गई,
तकलीफ लोगों को तब हुई,
   जब मैं फिर भी जी गई. 
जब कोई “हाथ” और“साथ” दोनों ही छोड़ देता है, तब “कुदरत” कोई न कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देती है, इसी का नाम “जिदंगी” है...!! 
   

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