पापा प्यारा शब्द बना है
अनंत गहराई लिए हुए हैं
इसका मोल तो दिल ही जानता है,
और जो ना जाने वह दिल ना लिए है|
गमों को सीने में दबाए रहते हैं,
हर वक्त चेहरे पर मुस्कान लिए रहते हैं |
मुश्किल में भी डटे रहते हैं,
बच्चों के लिए खड़े रहते हैं
हर शाम जब घर लौटते
थैला सामान का भरा लौटते
छोटे या बड़े हो सब निहारते
कभी ना खाली हाथ होते
पैसे चाहे जितने होते
पर खुशियों से कम ना होते
हर दिन कुछ नया करते
बड़े स्नेह से मां संग रहते
और जब वह वृद्ध होते
तो मुश्किल सफर होता
जिन पर सब वह न्योछावरते
क्या उम्मीद पर खड़े होते
काश पापा कभी वृद्ध ना होते
और हम कभी बड़े ना होते
तो जीवन कितना प्यारा होता |