Tuesday, 15 September 2020

कन्यादान


कई जन्म के पुण्य हमारे, जब संचित हो जाते हैं।

तब पुत्री के रूप में कोई, कन्या को हम पाते हैं।।

सहज नही होती है कन्या, करुणा की अवतारी है।

शक्ति स्वरूपा प्रेम प्रतीता, वो तो तारणहारी है।।

इस हेतु जरूरी है कन्या का, मान और सम्मान करें।

भाग्य और सौभाग्य हमारा, इसपर हम अभिमान करें।।

नेह स्नेह से पालन पोषण, उसका लाड़ दुलार करो।

खुद से ज्यादा तनया को ही, जी भरकर तुम प्यार करो।।

किन्तु कहो क्या शुभ की बेला, सदा सनातन होती है।

कालचक्र में कभी कभी तो, बेबस आँखें रोती हैं।।

यूँ ही लाडो आखिर इक दिन, अपने घर तो जाएगी।

और वहाँ भी नेह स्नेह का, डंका खूब बजाएगी।

आओ उसके विदा पर्व का, अंतस से संज्ञान करें।

*तीन लोक में सबसे दुर्लभ, आओ कन्यादान करें।।


Friday, 4 September 2020

डॉक्टर सर्वपल्लीराधाकृष्णन

 

5 सितम्बर ंशिक्षक दिवस ंआज पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्मदिन जिन्होंने शिक्षा के महत्व को प्रतिपादन किया ,यह शुभ दिन हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । 

 संसार के महान दार्शनिक भारत के सर्वोच्च पद पर स्थित राष्ट्रपति और संसार के महान विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक के रूप में विख्यात हैं।            

        उन्होंने इन तीनों रूपों में अपनी ज्ञान गरिमा और आदर्श जीवनचर्या का परिचय दिया। जीवन तथा जगत को सच्चाई से अवगत करवाया , और ये बता़या निर्भीक और सत्यवादी होता है ज्ञान ।

दर्शनशास्त्र इसी सच्चाई का अन्वेषण करता है। डॉ, राधाकृष्णन ज्ञान की इसी उच्चतम स्थिति में आधिष्ठित थे। भारत सरकार ने उन्हें रूस में भारत का दूत बनाकर भेजा था उनकी भेंट प्रशासक स्टालिन से तय की गई थी । जहाज के डेक पर निश्चित की गई ।

स्टालिन ने राधा-कृष्ण से पुछा आपको हमारा देश कैसा लगा डॉक्टर डॉ राधाकृष्णन ने कहा यहां तानाशाही है और जहां तानाशाही है वहां व्यक्ति की पूजा  होती है । आपका देश तथा उसकी जनता आजाद  नहीं कही जा सकती । स्टालिन के तेवर चढ गए। मुलाकात में खत्म हो गई। डॉक्टर राधाकृष्णन विदा हुए। उन्हें अपने स्तर के परिणाम के प्रति का प्रिया का अनुमान था सेक्रेटरी ने स्टालिन से पूछा, इस व्यक्ति से क्या और कैसा व्यवहार किया जाए ? स्टालिन ने  कहा जाने दो यह राजनीतिक नहीं है,, दार्शनिक है ,स्टालिन राजनीति को दर्शनिक का फर्क जानता था। वह जानता था राजनीतिक कभी सच नहीं बोलता ,और दार्शनिक कभी झूठ नहीं बोलता ।

उनका जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका तात्पर्य है कि शिक्षक दार्शनिक राष्ट्रपति से बढ़कर होता है । हर प्रकार से शिक्षक का पद संसार में सर्वाधिक ऊंचा माना जाता है। इसलिए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन के शिक्षकों होने की विशेषता से यह सम्मान प्राप्त कर गया।शिक्षक में राष्ट्रपति की महानता और दार्शनिक की सच्चाई और ज्ञान को समाहित होता है ।मनुष्य मात्र के कल्याण की कामना होती है। गुरु को ईश्वर से ऊंचा स्थान दिया जाता है कबीर  कहते हैं ,,,

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय भला हुआ गुरु आपने गुरु आपने जीण गोविंद दियो बताए,,


Tuesday, 1 September 2020

दिल में राम लिखा


लिखे राम  पे  ग्रंथ  किसी ने  

हमनें   दिल   में  राम लिखा  । 

सबने  उनके  काम को पूजा  

हमनें    बस निष्काम लिखा  ।।  

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कहे किसी नें  मानव  उनको  


लगे   किसी  को  अवतारी   ।  

सुलगे  लाखों प्रश्न  राम  को  

जब भी  पूर्ण   विराम लिखा  ।। 

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जगपालक जन मन के नायक 

जननी  ,जनक    दुलारे    को  । 

राजा   माना   बहुतेरों      नें  ,  

हम    नें   बस  आवाम लिखा ।। 

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पावन सरयू   सलिला   जैसी  

श्यामल   जिनकी  काया  थी । 

उनके   श्री   चरणों को छूकर  

हमनें    सिर्फ    प्रणाम लिखा ।।  

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दुराचार  के    संहारक    थे  , 

सदाचार   के    पोषक    जो  ।।  

ऐसे   पालनहार   प्रभू    को  , 

हमनें    भी     सुखधाम लिखा ।।  🙏

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जिनके  छूने   से  पत्थर   में 

प्राणों     का     संचार  हुआ  । 

हमनें उस पग  के रज कण को ,

साधक    का    परिणाम लिखा ।।   

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...