आज बड़े दिन बाद फिर मैं अंजली से मिली ।पर अब वो पहले से बहुत बदल गईं थी।हमने पूरा दिन साथ बिताया शादी औऱ नोकरी फिर घर से बाहर कभी फालतू ना आने जाने की उसकी ओर मेरी आदत से बरसों बाद हम एक ही शहर में रहते हुए आज सब्जी खरीदते हुवे आखिर मिल ही गये।वही कहीं साइड में खड़े खडे जो बातें शुरू हुई।पूरा 1 घण्टा निकल गया।तभी दोनो को अपने घर जाने की जल्दी से निकल गए लेकिन इस बीच उसे जो बातें हुई वो जीवन के सभी संस्कारों को याद दिला गयी जो आज बहुत कम दिखने को मिलते है।अंजली से पूछने पर पता चला कि उसकी शादी भले ही पैसे वाले ओर सरकारी रेलवे में नोकरी करने वाले से हुई हो पर जीवन के सही संघर्ष तो शादी के बाद ही शुरू हुवे ।ओर ये सब भी पहले भी मिले पर उसने कभी नही बताया उसके पड़ोसी हमारे मिलने वाले थे उन्होंने बताया।तब जाकर मैने उसे कहा मुझे सब पता है ।कि वो रोज पी कर आता है।और उसकी सारी सैलरी भी वही खत्म हो जाती है।और तुम घर घर काम कर के घर खर्च भी चलाती हो और ससुराल में सब की सेवा भी खूब करती हो।तुम उसको छोड़ क्यो नहीं देती?मेरा उससे ये कहना हुवा ओर उसने तपाक से मुझे जवाब दिया देखो जीवन मे अगर दुःख लिखा है और वो हमारे कर्मों से ही मिलता है ।तो इनको छोड़ने पर दूसरे के साथ भी मिलेगे।क्या तुमने अपने माता पिता को ये सब बताया ।तुम तो उनकी एकलौती बेटी और लाडली हो वो तुम्हे अपने घर रख लेंगे।इस पर भी अंजली ने मुझे बिना सोचे जल्दी ही जवाब दे दिया कि जब मै छोटी थी तो माँ रामायण का पाठ सुनाती थी तब जनक जी की बेटी सीता जी और राम को वनवास हो जाता है।तब मैं माँ से कहती थी कि वनवास तो सिर्फ राम को हुवा सीता जी क्यों उनके साथ दुखी होने वन में जाती है तब माँ कहती थी कि सच्ची पत्नी वही है जो पति का हर परिस्थिति में साथ निभाये।तो तुम ही बताओ में कैसे अपने पति को छोड़ दु।फिर जब मैं अपनी माँ से कहती कि सीता जी के पिता भी तो राजा है और उन्होंने अपनी पुत्री को कितने प्यार से पाला ओर बहुत कुछ दिया तो वो कुछ क्यो नहीं बोलते ओर वो अपनी पुत्री को अपने साथ क्यो नहीं ले जाते।तब माँ कहती कि उन्होंने अपनी पुत्री को अच्छे संस्कार दिये और बड़ों का आदर छोटो से प्यार व किसी काम से जी चुराना नहीं सिखाया।ओर उन्हें यकीन है कि उनकी बेटी कभी ना पति का अपमान करेगी ना ही साथ छोड़ेगी।ओर ससुराल में भी सबका मान रखेगी।ओर ऐसा ही सीता जी ने किया।तो भला मै कैसे मेरे पति को छोड़ू।हो सकता है ये मेरे पिछले जन्म के कर्म हो इसलिए इस जन्म में मैं अपने कर्मों को सबकी सेवा कर के ओर सभी का अच्छा कर के सुधार रही हूं ताकि अगला जन्म कुछ भी हो।इस दुनिया से जाते समय घर में रहे सब लोग कहे कि सच में बहुत अच्छे कर्म किये।और जब साथ शादी की तो पूरी ज़िंदगी साथ दूँगी अब तो अंजली की ये बाते सुन कर उसको देख बहुत ख़ुशी हुई कि आज भी ऐसे संस्कार दुनिया में बचे है।
जहाँ ससुराल को घर मान के प्यार की डोर से बहु बांधती हैं।जो उसे तोडने मे नहीं जोडने मे विश्वास रखती हैं।
Very nice sweetu
ReplyDeleteVery nice sweetu
ReplyDeleteTxs mem
Delete👏👏👏
ReplyDeleteTxs
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