*माँ तुम*..😢
*बहुत याद आ रही हो*
*एक बात बताऊँ*...
*आजकल*...
*तुम मुझमें समाती जा रही हो*☺
*आइने में अक्सर*
*तुम्हारा अक्स उभर आता है*
*और कानों में अतीत की*
*हर एक बात दोहराता है*
*तुम मुझमें हो या मैं तुममें*
*समझ नहीं पाती हूँ*
*पर स्वयं को आज*
*तुम्हारे स्थान पर खड़ा पाती हूँ*
*तुम्हारी जिस-जिस बात पर*
*कभी नाराज़ होती थी*
*झगड़ा भी किया करती थी*
*वही सब*..
*अब स्वयं करने लगी हूँ*
*अन्तर केवल इतना है कि*
*तब वक्ता थी और आज*
*श्रोता बन गई हूँ*
*हर पल राह देखती*
*तुम्हारी आँखें* ....
*आज मेरी आँखों मे बदल गई हैं*
*तुम्हारे दर्द को*
*आज समझ पाती हूँ*
*जब तुम्हारी ही तरह*
*स्वयं को उपेक्षित सा पाती हूँ*
*मन करता है मेरा*.
*फिर से अतीत को लौटाऊँ*
*तुम्हारे पास आकर*
*तुमको खूब लाड़ लड़ाऊँ*
*आज तुम बेटी*
*और मैं माँ बन जाऊँ*
🙏🏻 *माँ*🙏🏻
*बहुत याद आ रही हो*
*एक बात बताऊँ*...
*आजकल*...
*तुम मुझमें समाती जा रही हो*☺
*आइने में अक्सर*
*तुम्हारा अक्स उभर आता है*
*और कानों में अतीत की*
*हर एक बात दोहराता है*
*तुम मुझमें हो या मैं तुममें*
*समझ नहीं पाती हूँ*
*पर स्वयं को आज*
*तुम्हारे स्थान पर खड़ा पाती हूँ*
*तुम्हारी जिस-जिस बात पर*
*कभी नाराज़ होती थी*
*झगड़ा भी किया करती थी*
*वही सब*..
*अब स्वयं करने लगी हूँ*
*अन्तर केवल इतना है कि*
*तब वक्ता थी और आज*
*श्रोता बन गई हूँ*
*हर पल राह देखती*
*तुम्हारी आँखें* ....
*आज मेरी आँखों मे बदल गई हैं*
*तुम्हारे दर्द को*
*आज समझ पाती हूँ*
*जब तुम्हारी ही तरह*
*स्वयं को उपेक्षित सा पाती हूँ*
*मन करता है मेरा*.
*फिर से अतीत को लौटाऊँ*
*तुम्हारे पास आकर*
*तुमको खूब लाड़ लड़ाऊँ*
*आज तुम बेटी*
*और मैं माँ बन जाऊँ*
🙏🏻 *माँ*🙏🏻
Very Nice
ReplyDeleteTxs
ReplyDeleteVery nice post
ReplyDeleteTxs
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