Monday, 20 January 2020

बेटी की फटकार

आते ही दुनिया मे सनाटा छा गया,
खुशिया ना मिली मुझको मातम सा छा गया।
                      होते ही मेरी माँ ने भी आँखे फेर ली,
                      बेटे की थी आस उसको नजरें तरेर ली।
जो आया मिलने माँ, से दिलासा दे गया,
देख मेरी ओर,माँ को निराशा दे गया।
                     क्या इतना बुरा था मेरा दुनिया में आना,
               जितना बुरा न था किसीका दुनिया से जाना।
कमजोर ना बन माँ,तू मुझमें समा गई,
मै बनके तेरी ताकत दुनिया में आ गई।
                     बेटे से बढ़कर  मै तेरा अभिमान रखूंगी,
                  ख़ुद से भी बढ़कर मैं तेरा सम्मान रखूंगी।
ना हो निराश देख मेरी ओर प्यार से,
क्यो शोक में डूबी,लगा सीने से प्यार से।
                   ना सोचा मैंने  कि तू इतना खेद करेंगी,
                   दुनिया की तरह तू भी भेद करेंगी।
भगवान का है रूप तू मुझको स्वीकार कर,
नारी है तू भी सोच कर मुझे अंगीकार कर।
                         
                           कवयित्री
                    हेमलता पुरोहित

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बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...