ये बात उस मासूम की है जो ये जानती ही नही की उसे कितने संघर्ष करने है जब पड़ने की उम्र होती है खलने की तभी से उसने जिम्मेदारी उठाने की सोच ली |सिर्फ 12 साल में ही उसने अपने सपनो की जंग शुरू कर दी इस बीच सिर्फ उसे ये ही डर था कि मेरी पढ़ाई कही मजेदार में ना छूट जाए कही पल ऐसे आये जब उसे लगा कि पढ़ाई छूटने वाली है पर फिर उसने हिम्मत से उसे संभाल लिया
इतनी सी उम्र में उसे डर भी की वो एक लड़की है दूसरा उसे सपना भी पूरा करना है कुछ बनाना है हमारे ही पड़ोस में रहने वाली ये लड़की सबके लिए एक प्रेरणा थी|
जब हम आराम से स्कूल जाते खेलते मस्ती करते बाते करते सोते खूब खाते फिर मस्ती खेल ये सिर्फ अपने परिवार ओर सपनो के पीछे भागती थी|
ये लड़की है वीना जो हमारे ही पड़ोस में रहती थी स्कूल से लौट कर ये घर घर जाकर काम करती थी वो काम सिर्फ अपनी पढ़ाई और जरूरतों के लिए था शुरआत उसने डांस से की पर लोगो ने बाते बनाना शुरू कर दिया कि ये क्या काम है क्योकि उस जमाने मे इसका सीखाने का कुछ नही था और वो एक छोटा सी जगह जहा हर कोई उसके मनोबल को गिराने में लगे थे उसे भी डर था कि कही कुछ गलत तो नही पर कुछ और भी वो कर नही सकती थी क्योंकि उसके परिवार की स्थिति पहले बहुत अच्छी थी अचानक व्यपार में गाटे के कारण वो तो खराब हो गई उसने ये ही सोच कर डांस को चुना लेकिन लोग कहा कम होते है लेकिन उसने हार नही मानी और अपना काम शुरू रखा सिर्फ 35 रू से शुरू किया उसने दीन भर से शाम हो जाती थी उसको घर आते आते और फिर घर आकर वो थोड़ी देर के बाद पड़ने बेट जाती थी धीरे धीरे उसका ये काम ठीक चलने लगा पर उसकी पढ़ाई उससे छूटने लगी उसका सपना भी इन सब के बीच कही खो गया लेकिन फिर भी उसने उमीद नही छोड़ी अब वो डांस के साथ ओर भी काम करने लगी जैसे मेहंदी तो अब घर आते आते उसे रात हो जाती थी लेकिन इन सब के बाद कि लोग रात को लड़की आती है क्या ऐसा क्या काम लड़की को तो घर मे ही रखना चाईए तरह तरह की बात और कमैंट्स लेकीन वो दुःखी होती थी फिर सम्भल जाती इन सब में सिर्फ एक ही बात थी जो हमेशा उसको हिम्मत देती वो थी उसके मा बाप का उस पर विश्वास और स्पोट जो उसको सारी बाते भुला के आगे बढने में मदद करता था
आप सोच रहे हो गए कि लोग ओर बच्चे बहुत दुःख देखते है इतनी हालत खराब होती है कि बर्तन तक साफ करने पड़ते है भूखे भी रहना पड़ता था लेकिन इस
कहानी को मैने क्यो आपको बताई क्योकि इस लड़की ने हालात के सामने गुटने नही टेके जो बहुत से बच्चे कर लेते है वो अपनी पडाई छोड़ देते है|लेकिन जीवन मे कितने भी दुख क्यो ना हो उसको देख के मुझे ये ही लगता था कि अपनी पढ़ाई नही छोड़नी चाहिए क्योंकि ये ही हमे सब से बाहर निकाल सकती है| और उसके पास या उसके मा बाप के पास पडा ने के पैसे भी नही तब उसकी मौसी ने सबसे ज्यादा सहारा दिया वो नही होती तो वो बीच मे बचपन मे ही पढ़ाई से बहुत दूर हो जाती कहते है मौसी माँ जैसी होती है ये बात सिर्फ उसकि मौसी को देख के लगता था |जो उसकी परिवार और उसके सब भाई बहनों का बहुत ध्यान और ख़याईश पूरी करती थी |तब वो भी एक प्राइवेट स्कूल टीचर थी और बहुत कम जो भी मिलता सब वो उन पर ही खर्च कर देती थी"| लेकिन जब मौसी की शादी हो गए और उसने दूसरे तरफ अपनी मंजिल ढूंढी कुछ और बनने की सोची तो फिर पैसे नी होने से एक बार सोचा सब छोड़ दे लेकिन उसके भाई ने दुसरो से ब्याज पर पैसे लाकर उसको पढ़ाया ओर जब कुछ लायक बनी तो वो ही भाई उसे हमेशा के लिए दूर हो गया|😢
लेकिन बीच मे उसकी शादी हो गई वो तो कुछ बन गई लेकिन उसके दूसरे भाई बहनों ने हालात के सामने थक गए और उन्होंने पढ़ाई को बीच मे ही छोड़ दिया वो आज भी रोज एक नई जंग के लिए तैयार होना पड़ता है क्योंकि उनकी स्थिति सही होने का नाम ही नी लेती
काश!वो सब भी अच्छे से पढ़ लेते तो शायद उनके भी संघर्ष कम हो जाते और आज पढ़ाई का महत्व बहुत है |
जीवन मे कितनी भी मुश्किल क्यो ना हो लेकिन पढ़ाई को कभी नही छोड़ना चाहिए क्यो की वो ही एक हतियार है जो उस मुश्किल ओर हर मुस्कील समय से इंसान को बाहर निकाल सकता है|
तूफान कितना भी क्यो ना हो
होसलो के सामने टिक नही पाता