विदाई ये शब्द अपने आप मे ही कहीं ना कहीं दुख होने का एक अहसास करा देता है। जीवन में मिलना बिछड़ना तो होता ही लेकिन कुछ पल जो हमें जीवन भर याद रहते है। या जो जीवन में एक अजनबी से दोस्त गुरु या अपने बन जाते है।जिनसे बिछड़ के दुख होता है। ऐसा ही कुछ आज महसूस हुवा जब हमें भी एक बार फिर विदाई दी गई। ये एक बार फिर इस लिए कहा मैंने क्योंकि जीवन मे पहले भी कहीं विदाई हुई और उनको भुलाना ही मुश्किल था । कि आज एक ओर विदाई स्कूल से विदाई सबसे पहले दोस्तो गुरू को छोड़ने का दुख हुवा ,तब फिर मायके से विदाई, सभी को छोड़ना पडा ।तब वो घर जिसमें जन्म लेकर कब बड़े हुवे, कुछ पता ही नहीं, माँ का आँचल वो पिता का साया हर मुश्किल राह से बचाता रहा और जिंदगी ने एक विदाई ला दी।कि दुनिया की धूप में सब छोड़ के नया बसेरा बनाने चले ,एक डर से की कुछ गलत ना हो कोई हमसे दुःखी ना हो ।
शा•उ•मा•कनाड़िया से जब फिर एक बार आज विदाई हुई तो आँखों के सामने वो सारी बाते आने लगी । कि मैं जब यहाँ आई तब कितना खुश थी और आज जब विदाई हो रही तो ऐसा लग रहा था । कि अपने कुछ पीछे छूट रहे थे। पूरा विद्यालय परिवार एक छोटी बच्ची के जैसे बड़े ही अच्छे से रखते थे। ओर कैसे एक साल गुजर गया। पता ही नही चला। साथ छूटने की कड़ी में कहीं और साथी छूट गए।कही पिता सा मार्गदर्शन तो कही बहनों का प्यार और भाई सा दुलार भी शामिल था जिन्होंने जीवन के बहुत से ज्ञान भी दिया और सिख भी दी।
आज मन कुछ उदास तो है उन सभी के छूट जाने का वैसे ये विदाई नही हुई थी ।
तब तक इस बात का अहसास नहीं था।पर आज जब हुवा तो एक बार फिर सारी विदाई याद आगयी ।की कैसे एक एक कर के विदाई से सब बिछड़ गए।
आज फिर वक्त को रोकने का मन करता है
पीछे लौटने का मन करता है
जो छुटे पिछे वो अनमोल रत्न थे
उनको शुक्रिया करने का मन करता है
शा•उ•मा•कनाड़िया से जब फिर एक बार आज विदाई हुई तो आँखों के सामने वो सारी बाते आने लगी । कि मैं जब यहाँ आई तब कितना खुश थी और आज जब विदाई हो रही तो ऐसा लग रहा था । कि अपने कुछ पीछे छूट रहे थे। पूरा विद्यालय परिवार एक छोटी बच्ची के जैसे बड़े ही अच्छे से रखते थे। ओर कैसे एक साल गुजर गया। पता ही नही चला। साथ छूटने की कड़ी में कहीं और साथी छूट गए।कही पिता सा मार्गदर्शन तो कही बहनों का प्यार और भाई सा दुलार भी शामिल था जिन्होंने जीवन के बहुत से ज्ञान भी दिया और सिख भी दी।
आज मन कुछ उदास तो है उन सभी के छूट जाने का वैसे ये विदाई नही हुई थी ।
तब तक इस बात का अहसास नहीं था।पर आज जब हुवा तो एक बार फिर सारी विदाई याद आगयी ।की कैसे एक एक कर के विदाई से सब बिछड़ गए।
आज फिर वक्त को रोकने का मन करता है
पीछे लौटने का मन करता है
जो छुटे पिछे वो अनमोल रत्न थे
उनको शुक्रिया करने का मन करता है