Saturday, 25 January 2020

तीन रंग तिरंगा प्यारा

लगता सबसे न्यारा न्यारा,
प्यारा भारत देश हमारा,
ऊँचा है सविधान हमारा🇮🇳
             अलग धर्म अलग भाषा है,
              सबकी एक  अभिलाषा है,
               प्यारा भारत देश हमारा,
           🇮🇳   ऊँचा हे संविधान हमारा।
जाति और समुदाय को लेकर,
देश ना बट जाए दोबारा,
 प्यारा भारत देश हमारा,
 ऊँचा हे संविधान हमारा।🇮🇳
               🇮🇳छोड़ दो हिन्दू मुस्लिम नारा,
                सब ओर हो केवल भाई चारा,
                 प्यारा भारत देश हमारा,
                  ऊँचा हे संविधान हमारा।
कमजोर नही सशक्त बनो,
देशवासी नहीं देशभक्त बनो,
प्यारा भारत देश हमारा,
ऊँचा हे संविधान हमारा।🇮🇳
                    कवयित्री  हेमलता पुरोहित
सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना🙏

Thursday, 23 January 2020

दरिंदगी की हद हो गई

एक अकेली अबला पर
कितने गिद्ध टूट पड़े,
दरिंदगी की हद हो गई
अब तो गुस्सा फूट पड़े।

        हर रिश्ते को किया तार तार,
         अपनी भूख मिटाने को,
         ऐसे वेशी घूम ना पाए
          चलो सबक सिखाने को।
नारी नहीं सामान भोग की,
ये जिसने ना सोचा था,
काट फेंक दो हाथ उसकी के,
जिसने उसको नोचा था।
          लटका दो उसको फाँसी पर,
           जिसने अस्मत लूटी थी,
           दे दो न्याय अगर दे सको,
           जिसकी इज्जत लूटी थी।
बदलो परिभाषा न्याय की,
अपना देश बदल जायेगा,
हैवानियत के दरिंदो को,
तभी समझ में आयेगा।
        ऐसी सजा इन्हें दो की
         रूह कांप जाए देखने वालों की
         फिर कोई सोच ना पाय
         इज्जत पर हाथ डालने की।
                      कवयित्री Hemlata Purohit

Monday, 20 January 2020

बेटी की फटकार

आते ही दुनिया मे सनाटा छा गया,
खुशिया ना मिली मुझको मातम सा छा गया।
                      होते ही मेरी माँ ने भी आँखे फेर ली,
                      बेटे की थी आस उसको नजरें तरेर ली।
जो आया मिलने माँ, से दिलासा दे गया,
देख मेरी ओर,माँ को निराशा दे गया।
                     क्या इतना बुरा था मेरा दुनिया में आना,
               जितना बुरा न था किसीका दुनिया से जाना।
कमजोर ना बन माँ,तू मुझमें समा गई,
मै बनके तेरी ताकत दुनिया में आ गई।
                     बेटे से बढ़कर  मै तेरा अभिमान रखूंगी,
                  ख़ुद से भी बढ़कर मैं तेरा सम्मान रखूंगी।
ना हो निराश देख मेरी ओर प्यार से,
क्यो शोक में डूबी,लगा सीने से प्यार से।
                   ना सोचा मैंने  कि तू इतना खेद करेंगी,
                   दुनिया की तरह तू भी भेद करेंगी।
भगवान का है रूप तू मुझको स्वीकार कर,
नारी है तू भी सोच कर मुझे अंगीकार कर।
                         
                           कवयित्री
                    हेमलता पुरोहित

Thursday, 9 January 2020

पैसे की महिमा

मुझको लगता इस दुनिया में, एक अचम्बा ऐसा हैं।
रिश्ते-नाते सभी झूठ हैं, सच्चा केवल पैसा है।।

पैसे के दम पर इठलाये,हर कोई नर और नारी।
संभल के भैया बात करो,तुम पैसा सब पर भारी।।

भारी भरकम पैसे वाला,दिखता सबसे अलग है।
उसके नखरे चलते-फिरते ,देखे जग में लोग है।।

जग में केवल चलता हैं, उनके नाम का सिक्का।
जिसके पत्तों में होता हैं, चिड़ी पान का इक्का।।

इक्के से फिर याद आ गया,खेल हमे भी अपना।
मालामाल होने के लिए,चलो सोकर देखे सपना।।

सपने में भैया तुम तो ,बस राम-राम ही जपना।
 समझो तुम तो अब, पराया माल भी अपना।।

अपना- पराया छोड़ दे बंदे,छोड़ दे तेरा- मेरा।
रिश्तों से नाता जोड़,पैसा मेल हैं हाथ का तेरा।।

तेरा पैसा एक दिन तुझको इस रंग दिखायेगा।
माल खायेगे वो सब ओर,तू सुखी रोटी नहीं खाएगा।।

                                   
                                      कवयित्री
               हेमलता पुरोहित



बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...