Monday, 24 December 2018

माँ

आज से ये कुछ दिन बहुत दुख भरे रहे
बिन माँ के कैसा लगता है ये अहसास
बहुत ही दुख भरा था काश माँ एक
बार आप फिर कुछ बोल देती ओर
में फिर आप से बहस कर पाती
काश आप फिर वो फिकर करती
ओर में आपको देख पाती क्यो
इतना जल्दी आप हम से दूर चली
गयी क्यो एक बार आपको हमारी

याद ना रही किस तरह रहे आपके
बिन बस ये सोच के दिल दुखी है
क्या जीवन होगा आप के बिन
इसकी तो कभी कल्पना भी नी
करि थी आप तो भगवान को
बहुत मानती थी तो क्या आप
के उस भगवान को हम छोटे
बच्चो पर दया नही आई किसी
के तो माँ उनके बुड्ढे होने पर भी
उनके साथ होती है और हमारी
माँ को इतना जल्दी बुला लिया
उसने सच कोई भगवन है ही नही
कोन हमको सब बातों को समजायेगा
कोंन हमको डाट में भी प्यार देगा
कोंन सबका ख्याल रखेगा
कोंन हमारी फिकर करेगा
काश आपकी जगह में
चली जाती और आप बस
यही रहती सब के उदास
चेहरे देखे नही जाते आपके
बिना जीने में कुछ नही लगता

बेटी दिवस की शुभकामनाएं

 नही पढी लिखी थी मां मेरी ना उसने कभी ये बधाई दी बेटी होने पर मेरे भी ना उसने जग मे मिठाई दी हो सकता समय पुराना था मोबाइल ना उसके हाथो मे था...